पाकिस्तान से समुद्री रास्ते से भारत में घुसे 10 लश्कर आतंवादियों ने मुंबई में दाखिल होकर देश की आर्थिक राजधानी में अपने नापाक मंसूबों को अंजाम दिया था. हमले में 166 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 300 से भी ज्यादा लोग घायल हो गए थे. आतंकियों ने मुंबई के सीएसटी स्टेशन, ताज होटल, नरीमन हाउस, लियोपोल्ड कैफे जैसे फमस जगहों को अपना निशाना बनाया था. पुलिसवालों और एनएसजी के जवानों ने 60 घंटे तक ऑपरेश चलाने के बाद आतंकियों को मारने में कामयाबी हासिल की थी.
नाव के रास्ते आए भारत
हमलावर कराची से नाव के जरिए मुंबई में घुसे थे. इस नाव पर चार भारतीय सवार थे, जिन्हें किनारे तक पहुंचते-पहुंचते मार दिया गया. रात के करीब आठ बजे थे, ये हमलावर कोलाबा के पास कफ परेड के मछली बाजार पर उतरे. वहां से वे चार ग्रुपों में बंट गए और टैक्सी लेकर अपनी-अपनी जगह पर पहुंचे.
मछुवारों को हुआ था शक
खबरों की माने तो जिन मछुआरों की नाव से ये मुंबई पहुंचे थे, इन लोगों की आपाधापी को देखकर कुछ मछुवारों को शक भी हुआ और उन्होंने पुलिस को जानकारी भी दी. लेकिन इलाके की पुलिस ने इस पर कोई खास ध्यान नहीं दिया था.
इन जगहों को बनाया निशाना
मुंबई पुलिस और जांच अधिकारियों की मानें तो ये सभी आतंकी दो-दो के ग्रुप में बंट गए और अपनी-अपनी राह पकड़ ली. इनमें से दो आतंकियों ने दक्षिणी मुंबई के कोलाबा में स्थित लियोपोल्ड कैफे को निशाना बनाया, दो आतंकियों ने नरीमन हाउस, तो वहीं, अन्य आतंकी दो-दो के ग्रुप में छत्रपति शिवाजी टरमिनस, होटल ट्राइडेंट ओबरॉय और ताज होटल की तरफ बढ़ गए.
छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर हमला
रात के करीब साढ़े नौ बजे मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर गोलीबारी की खबर सामने आई. स्टेशन के मेन हॉल से दो आतंकी अंदर दाखिल हुए और एके47 राइफल से अंधाधुंध फायरिंग शुरु कर दी. 15 मिनट की इस गोलीबारी में वहां मौजूद 52 लोगों की मौत हो गई, जबकि 109 लोग घायल हो गए थे. इसी हमले के दौरान पुलिस ने आतंकी मुहम्मद अजमल कसाब को पकड़ने में सफलता प्राप्त की थी. हमलों के दौरान गिरफ्तार वह इकलौता हमलावर था.
लियोपोल्ड कैफे पर हमला
लियोपोल्ड कैफे में ज्यादातर विदेशी आते हैं. विदेशी पर्यटकों के बीच यह कैफे काफी लोकप्रिय है. इससे पहले ही वहां मौजूद लोग कुछ समझ पाते वहां पहुंचे दो हमलावरों ने अंधाधुंध गोलियां चलाई, और वहां से निकलते बने. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक़ लियोपोल्ड कैफे में हुई गोलीबारी में 10 लोग मारे गए थे.
ओबेरॉय होटल पर हमला
ओबेरॉय होटल व्यापारिक तबके के बीच काफी लोकप्रिय है. इस होटल में भी हमलावर ढेर सारे गोला-बारूद के साथ घुसे थे. माना जाता है कि उस समय उस होटल में 350 से ज़्यादा लोग मौजूद थे. यहां हमलावरों ने कई लोगों को बंधक भी बना लिया. राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के जवानों ने यहां दोनों हमलावरों को मार दिया. लेकिन तब तक 32 लोगों की जान जा चुकी थी.
ताजमहल होटल पर हमला
26/11 हमले की जब बात होती है तो ताज होटेल की इमारत से निकलता धुंआ तो बाद में हमलों की पहचान बन गया. ये इमारत 105 साल पुरानी है. गेटवे ऑफ इंडिया के पास स्थित ताज होटल विदेशी पर्यटकों में काफी लोकप्रिय है.
होटल पर जब हमला हुआ तो वहां डिनर का समय था और वहां तकरीबन 450 लोग मौजूद थे. तभी अचानक अंधाधुंध गोलियां चलने लगीं. ताज होटल में करीब 6 बम धमाके किए गए. इनमें से एक लॉबी में, दो एलिवेटर्स पर, तीन रेस्टोरेंट में और एक ओबरॉय ट्राइडेंट में.
पहली ही रात अग्निशमन के अधिकारियों ने करीब 200 बंदी लोगों को वहां से निकाला था. सरकारी आंकड़ों की मानें तो ताजमहल होटल में 31 लोग मारे गए और चार हमलावरों को सुरक्षाकर्मियों ने मार दिया.
कामा अस्पताल पर हमला
कामा अस्पताल एक चैरिटेबल अस्पताल है, इसका निर्माण 1880 में एक व्यापारी ने कराया था. मुंबई पुलिस का मानें तो चार हमलावरों ने एक पुलिस वैन को अगवा कर लिया और उसके बाद लगातार गोलियां चलाते रहे.
इसी क्रम में वे कामा अस्पताल में भी घुसे. कामा अस्पताल के बाहर ही मुठभेड़ के दौरान आतंकवाद निरोधक दस्ते के प्रमुख हेमंत करकरे, मुंबई पुलिस के अशोक काम्टे और विजय सालसकर मारे गए.
नरीमन हाउस पर हमला
हमलावरों ने नरीमन हाउस को भी निशाना बनाया. नरीमन हाउस चबाद लुबाविच सेंटर के नाम से भी जाना जाता है. नरीमन हाउस में भी हमलावरों ने कई लोगों को बंधक बनाया था.
जिस इमारत में हमलावर घुसे थे वह यहूदियों की मदद करने के लिए बनाया गया एक सेंटर था. यहां एनएसजी कमांडो को कार्रवाई करने के लिए हेलिकॉप्टर से बगल वाली इमारत में उतरना पड़ा.
कार्रवाई हुई और हमलावर मारे भी गए. लेकिन किसी भी बंधक को बचाया नहीं जा सका. यहां सात लोग और दो हमलावर मारे गए थे.
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