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    ISRO को मिली एक और बड़ी कामयाबी, एक साथ 31 सैटेलाइट लॉन्च; जानिए- इसके फायदे

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    Nov 29, 2018 inauguration, satellite

    बेंगलुरु, प्रेट्र। धरती का अध्ययन करने वाले उपग्रह (HySIS) हाइपर स्पेक्ट्रल इमेजिंग  का प्रक्षेपण कर दिया गया है। इसरो के अंतरिक्ष यान पीएसएलवी-सी43 के साथ आठ देशों के 31 उपग्रह प्रक्षेपित किए गए हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मुताबिक, आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से गुरुवार सुबह 09.58 बजे पीएसएलवी-सी43 से उपग्रहों का प्रक्षेपण किया गया।

    बता दें कि हाईपर स्पेक्ट्रल इमेजिंग सेटेलाइट (HySIS) का प्राथमिक लक्ष्य पृथ्वी की सतह का अध्ययन करना है। 380 वजनी इस सेटेलाइट को इसरो ने विकसित किया है। यह पीएसएलवी-सी43 अभियान का प्राथमिक उपग्रह है। इसरो के बयान के अनुसार यह उपग्रह सूर्य की कक्षा में 97.957 डिग्री के झुकाव के साथ स्थापित किया जाएगा। इसकी आयु करीब 5 साल होगी।

     

    इसरो ने कहा कि इन उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए उसकी वाणिज्यिक इकाई (एंट्रिक्स कारपोरेशन लिमिटेड) के साथ करार किया गया है। चार चरण वाले पीएसएलवी रॉकेट की 45वीं उड़ान है। बता दें कि इसरो द्वारा एक महीने के अंदर किया जा रहा यह दूसरा परीक्षण होगा। इससे पहले संचार उपग्रह जीसैट-29 का प्रक्षेपण किया गया था।

    जानिए- हाइपर स्पेक्ट्रल इमेजिंग उपग्रह के बारे में

    भारत का हाइपर स्पेक्ट्रल इमेजिंग उपग्रह (HySIS) इस मिशन का प्राथमिक सैटलाइट है। इमेजिंग सैटलाइट पृथ्वी की निगरानी के लिए इसरो द्वारा विकसित किया गया है। इस उपग्रह का उद्देश्य पृथ्वी की सतह के साथ इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पैक्ट्रम में इंफ्रारेड और शॉर्ट वेव इंफ्रारेड फील्ड का अध्ययन करना है। HySIS एक विशेष चिप की मदद से तैयार किया जाता है जिसे तकनीकी भाषा में ‘ऑप्टिकल इमेजिंग डिटेक्टर ऐरे’ कहते हैं।

    इस उपग्रह से धरती के चप्पे-चप्पे पर नजर रखना आसान हो जाएगा क्योंकि लगभग धरती से 630 किमी दूर अंतरिक्ष से पृथ्वी पर मौजूद वस्तुओं के 55 विभिन्न रंगों की पहचान आसानी से की जा सकेगी। हाइपर स्पेक्ट्रल इमेजिंग या हाइस्पेक्स इमेजिंग की एक खूबी यह भी है कि यह डिजिटल इमेजिंग और स्पेक्ट्रोस्कोपी की शक्ति को जोड़ती है।

    हाइस्पेक्स इमेजिंग अंतरिक्ष से एक दृश्य के हर पिक्सल के स्पेक्ट्रम को पढ़ने के अलावा पृथ्वी पर वस्तुओं, सामग्री या प्रक्रियाओं की अलग पहचान भी करती है। इससे पर्यावरण सर्वेक्षण, फसलों के लिए उपयोगी जमीन का आकलन, तेल और खनिज पदार्थों की खानों की खोज आसान होगी।

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