भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का 39 वां जीसैट-7ए संचार उपग्रह श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से बुधवार को लांच हो गया। शाम 4 बजकर 10 मिनट पर जीएसएलवी-एफ11 रॉकेट को लांच किया गया। इसरो द्वारा निर्मित जीसैट-7ए का वजन 2,250 किलोग्राम है और यह मिशन आठ साल का होगा। इसरो ने मिशन रेडिनेस रिव्यू कमेटी और लांच ऑथराइजेशन बोर्ड ने इसका काउंटडाउन मंगलवार को ही शुरू कर दिया था।
इस वक्त धरती के चारों ओर दुनियाभर की लगभग 320 मिलिटरी सैटेलाइट चक्कर काट रही हैं। जिनमें से अधिकतर अमेरिका की हैं। इसके बाद इस मामले में रूस और चीन का नंबर आता है।
इनमें से अधिकतर रिमोट-सेंसिंग हैं। ये धरती की निचली कक्षा में मौजूद रहकर धरती के चित्र लेने में मददगार होते हैं। वहीं निगरानी, संचार आदि के लिए कुछ सैटेलाइट को धरती की भू-स्थैतिक कक्षा में ही रखा जाता है। ये सैटेलाइट पाकिस्तान के खिलाफ भारत द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक में भी मददगार साबित हुई थीं। चीन इस मामले में लगातार प्रगति करता जा रहा है, जिसके बाद भारत भी अब तैयार हो रहा है।
GSAT-7A की अन्य कुछ अहम बातें..
– 500-800 करोड़ रुपये की लगात में तैयार हुई इस सैटेलाइट में 4 सोलर पैनल लगाए गए हैं। जिनकी मदद से 3.3 किलोवाट बिजली पैदा की जा सकती है।
– इसके साथ ही इसमें कक्षा में आगे-पीछे जाने या ऊपर जाने के लिए बाई-प्रोपेलैंट का केमिकल प्रोपल्शन सिस्टम भी दिया गया है। इससे पहले इसरो ने जीसैट-7 सैटेलाइट को लांच किया था। इसे रुकमिणि के नाम से जाना जाता है।
– 29 सितंबर 2013 में लांच हुई यह सैटेलाइट नेवी के युद्धक जहाजों, पनडुब्बियों और वायुयानों को संचार की सुविधाएं प्रदान करती है। आने वाले समय में वायुसेना को जीसैट-7 सी मिलने के भी आसार हैं।
most welcome viewers…!!!!!!