Bihar के दर्जनों जिले पानी-पानी हैं. गांवों में पांच-पांच फीट तक पानी भरा है. अस्पतालों तक में पानी घुस चुका है.
मुजफ्फरपुर में बूढ़ी गंडक अपना रौद्र रूप दिखा रही है. शहर से सिर्फ 5 किलोमीटर दूर इस गांव की हालत देख कर तरस आता है.
गांव के लोग तीन महीने तक सड़क पर बसेरा बनाकर रहने को मजबूर हैं. सरकार की तरफ से इन्हें अभी तक कोई सुविधा नहीं मिली है.
आजतक ने सबसे घातक मार झेल रहे जिलों में जाकर बाढ़ से बेहाली का जायजा लिया.
सुगौली में सिकरहना नदी के किनारे बनाया गया बांध टूटने के पीछे कही प्रशासनिक चूक तो नहीं हुई है।
बाढ़ पीड़ितों के जेहन में यह सवाल जवाब का इंतजार कर रहा है।
Bihar के सुगौली के तीन दर्जन से अधिक गांवों में बाढ़ ने मचाई तबाही
सुगौली नप व प्रखंड बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है। इसमें निमुई, अमीर खां टोला, बेलइठ, बिशुनपुरवा, बंगरा,नयका टोला, कुरुम टोला, सुगौली गांव, माई स्थान, धनही,डुमरी, माली, लालपरसा, धमनी टोला, चिलछपटी, बड़हरवा, रौशनपुर, शीतलपुर, लक्ष्मीपुर, मुसवा, भेड़िहारी, करमवा, रघुनाथपुर, बगही, पंजिआरवा, मनसिघा, उतरी छपरा बहास, उतरी सुगांव, छपरा बहास, मधुमालती सहित करीब तीन दर्जन से ज्यादा गांवों के लोग बाढ़ की मार झेलते आ रहे हैं।
सैकड़ों एकड़ में लहलहा रहे धान के फसल पानी में जल समाधि ले रहा है। लोग विवश व तमाशबीन हैं।
लोगो को तो अपनी जान बचाने की मजबूरी है। पर बांध कैसे टूटा इसकी भी उच्चस्तरीय जांच की जरूरत है।
जानकर बताते हैं कि कई पंचायतों में मनरेगा द्वारा बांध मरम्मत का कार्य कराया गया, पर कार्य की गुणवत्ता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पानी के हल्के दबाव को भी वह झेल सका।
कई पंचायतो में तो मनरेगा द्वारा बांध की मरम्मत भी नहीं कराई गई।
नप उपमुख्य पार्षद श्याम शर्मा ने कहा कि बांध मरम्मत कार्य ठीक से नहीं हो सका।
इसको लेकर कई बार अधिकारियों से कहा गया, लेकिन किसी ने ध्यान ही नहीं दिया।
मुखिया असफाक आलम ने बताया कि लालपरसा के धुमनी टोला में नदी के किनारे कटाव से गांव में बाढ़ प्रवेश कर गया।
मुखिया महेश सहनी ने कहा कि जब बाढ़ आ जाता है तो अधिकारी निरीक्षण करने आते हैं और निर्देश देकर चले जाते हैं।
बाढ़ के चलते यहां के लोगों का अमन चैन छीन जाता है और लोग बर्बाद हो जाते हैं।