अपनी बनावट और तकनीक की वजह से देश में चलने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों में आवाज न के बराबर होती है, लेकिन अब सरकार इसमें कुछ आवाज की भी व्यवस्था करने के विकल्प पर विचार कर रही है। हिन्दुस्तान को सूत्रों के जरिये मिली जानकारी के मुताबिक ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि सड़क पर चलने वाले व्यक्ति को ये पता चल सके कि कोई गाड़ी आ रही है और वो किनारे हट सके।
जानकारी के मुताबिक भारी उद्योग मंत्रालय ने इस बारे में संबंधित विभागों को संभावनाएं तलाशने के निर्देश दे दिए हैं। एक बार विकल्प हाथ लग जाएगा तब फिर वाहनों में आवाज के प्रभावों का आंकलन किया जाएगा। आंकलन इस बात का होगा कि कहीं इससे ध्वनि प्रदूषण तो नहीं फैल रहा है। ध्वनि प्रदूषण की संभावना को खत्म करने के बाद ही इस विकल्प को अपनाने पर आगे व्यवस्था बनाई जाएगी।
दुनियाभर में हो रहे हैं शोध
इस बारे में वैश्विक स्तर पर भी शोध हो रहे हैं। इस कारोबार से जुड़े लोगों के मुताबिक अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में गाड़ियों में आवाज रखने पर शोध हो रहा है। ये सुरक्षा के मकसद से किया जा रहा है ताकि सड़क पर पैदल चलने वाले व्यक्ति को ये आभास हो सके कि उनके पीछे कोई गाड़ी भी आ रही है। शोध में फिलहाल तेज रफ्तार, मध्यम रफ्तार और धीमी रफ्तार के हिसाब से अलग-अलग आवाज किए जाने पर काम चल रहा है।
सामान्य गाड़ियों के मुकाबले शांत ही रहेंगी
विशेषज्ञों का ये भी कहना है कि आवाज जोड़े जाने के बाद भी इलेक्ट्रिक गाड़ियां, सामान्य गाड़ियों के मुकाबले शांत ही रहेंगी। साथ ही शहरी इलाकों में तो उनकी आवाज और भी कम सुनाई देगी। गौरतलब है कि देश में चल रही इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बनावट ऐसी होती है कि उनमें पेट्रोल, डीजल और सीएनजी से चलने वाले वाहनों की तुलना में न के बराबर आवाज होती है। ऐसे में सड़क के किनारे चल रहे व्यक्ति को आभास नहीं हो पाता है कि कोई गाड़ी आ रही है। यही वजह है कि देश में भी इस पर काम अभी से शुरू हो गया है।
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