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    हर्षित पांडेय खांटी कानपुरी लड़के हैं। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, यानी TISS में समाजशास्‍त्र के दौरान नीति आयोग में डिस्ट्रिक्ट न्यूट्रिशन कंसलटेंट की सरकारी नौकरी लगी। मम्मी-पापा का दिल गदगद। लड़के के लिए लड़कियां देखने लगे। डेढ़ साल बाद हर्षित ने इस्तीफा दे दिया। किसी को समझ नहीं आया क्या करना चाहता था। पांच दिन बाद उसने प्रशांत किशोर की नौकरी शुरू कर दी। हर्षित की कहानी जानने के बाद हमने UP चुनावी के नेताओं और पार्टियों के साथ काम करने वाले युवा प्रोफेशनल्स की पड़ताल की। यहां हम इस काम के बारे में ए टु जेड जानकारी दे रहे हैं।

    नेता को ये तक बताते हैं कि किसके घर खाना खाने से फायदा मिलेगा
    आई-पैक के लिए काम करने वाले हर्षित ने बताया, “हम किसी क्षेत्र में काम की शुरुआत सर्वे से करते हैं। तय नहीं है पर ज्यादातर सर्वे पहले फोन से किए जाते हैं, फिर जमीन पर उतरकर। इसके बाद रिपोर्ट बनती है। इसी के आधार पर वादे डिजाइन करते हैं। यहां तक बताते हैं कि किसके घर में खाना खाने से फायदा मिलेगा।”

    बद्रीनाथ कहते हैं, ‘ह्वाट्सएप सबसे बड़ा वेपन होता है। ग्रुप्स बनाते हैं, फेसबुक से लिंक करते हैं। UP चुनावी बूथ लेवल से कैबिनेट मिनिस्टर तक से मिलते हैं। बड़े नेताओं को पार्टी में लाने के लिए नेगोशिएट करते हैं। अहम काम यही है। कुछ कॉन्फिडेंशियल बातें और हैं। उन्हें ऐसे खुलेआम नहीं बता सकते।’

    क्रिएटिव राइटर्स, रिसर्चर्स, कैंपेन डिजाइनर्स जैसे 50 पद पर नौकरियां
    हर्षित ने बताया, ‘साल 2014 के बाद से यह फील्ड युवाओं को अट्रैक्ट करने लगा। इसकी शुरुआत प्रशांत किशोर की इंडियन पॉलिटिकल एक्‍शन कमेटी, यानी I-PAC ने की। इसमें IIM से MBA और IIT से B.Tech करने वाले युवाओं से लेकर विदेश में सोशल साइंस की पढ़ाई करने वाले बच्चे जुड़े हुए हैं।’

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