यूक्रेन युद्ध के बीच अमेरिका की चेतावनी के बावजूद भारत रूस से कच्चे तेल का इंपोर्ट दोगुना कर रहा है। इंडियन ऑयल और हिंदुस्तान पेट्रोलियम जैसी सरकारी ऑयल रिफाइनरी कंपनियां अब पब्लिक टेंडर के जरिये रूस से तेल खरीदने की जगह निजी स्तर पर डील करने के प्रयास में हैं, ताकि कम दाम पर सप्लाई हो सके।
चीन की तरह ही भारत भी रूस से तेल खरीदेगा
रिफाइनरी कंपनियों और ट्रेडरों के मुताबिक, भारत ने रूस से बीते दिनों सभी तरह का क्रूड खरीदा है।
इसमें पश्चिमी देशों के पोर्ट से इंपोर्ट होने वाले फ्लैगशिप ग्रेड|
उराल क्रूड से लेकर सुदूर-पूर्व के रेयर कार्गो ESPO तक की खेप शामिल हैं।
आम तौर पर चीन इस तरीके से रूसी तेल खरीदता है।
अब भारत ने भी ये तरीके अपना लिए हैं।
इंडियन ऑयल और हिंदुस्तान पेट्रोलियम जैसी कंपनियां कर रहीं डील, इससे कम दाम में सप्लाई होगी
रूस से तेल खरीदने की जगह निजी स्तर पर डील करने के प्रयास में हैं, ताकि कम दाम पर सप्लाई हो सके।
यूरोपीय यूनियन रूस से इंपोर्ट घटाने का दबाव बना रहा
दरअसल रूस-यूक्रेन युद्ध के तीन महीने पूरे होने को हैं|
इस बीच रूस पर पाबंदियों के चलते सप्लाई बाधित होने से कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर चल रहे हैं।
ऐसे में भारत जैसे बड़े तेल इंपोर्टक सस्ते विकल्पों की तलाश में हैं।
रूस भारी डिस्काउंट पर भारत को क्रूड सप्लाई कर रहा है।
यह तेल और सस्ता हो सकता है क्योंकि यूरोपीय यूनियन के देशों पर इस बात का दबाव बढ़ रहा है कि वे रूस से इंपोर्ट घटाएं।
रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण कच्चे तेल की आपूर्ति कम होने की आशंकाओं को दूर करते हुए पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को राज्यसभा में कहा कि एक प्रतिशत से भी कम है।
पुरी ने उच्च सदन में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाब में यह जानकारी दी |
कहा कि चालू वित्त वर्ष में जनवरी तक यह कुल आयात का केवल 0.2 प्रतिशत है।
उन्होंने कहा, ‘‘… हमें प्रति दिन कुल 50 लाख बैरल की जरूरत है।
इसका साठ प्रतिशत हिस्सा खाड़ी से आता है।
हमने रूस से केवल 4.19 लाख मीट्रिक टन का आयात किया ह|
जो कुल आयात का 0.2 प्रतिशत (इस वित्त वर्ष में अप्रैल-जनवरी के दौरान) है।
” उन्होंने कहा, “हम स्थिति पर नजर रख रहे हैं।
जहां तक रूस से तेल आयात का सवाल है|
मीडिया में जो बताया गया है, उसके विपरीत, यह बहुत कम है।”