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    UPSC टॉपर शाह फैसल नौकरी पर लौटे

    जम्मू-कश्मीर में 2010 के बैच में UPSC में टॉप करने वाले शाह फैसल की जितनी चर्चा हुई थी, उतनी ही बहस उनकी सेवा में वापसी की हो रही है। इस्तीफे के बाद राजनीति में शामिल होने और PSA के तहत कैद किए गए किसी IAS अफसर का इस्तीफा रद्द कर सेवाएं बहाल करने का यह पहला मामला है।

    जिन हालात में फैसल ने इस्तीफा दिया, क्या उन्हें सेवा में वापस लेने का कोई आधार था?

    फैसल का मामला अपवाद के तौर पर देखा जाना चाहिए। सबसे बड़ी बात यह है कि जिस अफसर का इस्तीफा स्वीकार ही नहीं किया गया हो तो उसे वापस लेने के तमाम आधार हो सकते हैं।

    ऐसे में केस के आधार पर कैडर कंट्रोल करने वाली कॉम्पिटेंट अथॉरिटी सेवा में वापसी का निर्णय ले सकती है।

    अगर सरकार को लगता है कि किसी उकसावे में या किसी दबाव में या फिर भावना में बहकर किसी प्रतिभाशाली अधिकारी ने इस्तीफा दिया है, तो उसके इस्तीफे को नामंजूर किया जा सकता है।

    होल्ड किया जा सकता है और बाद में उसे वापस भी लिया जा सकता है।

    शाह फैसल के इस्तीफे की पृष्ठभूमि क्या थी

    शाह ने UPSC की परीक्षा में टॉप किया था।

    जम्मू-कश्मीर के किसी युवा के लिए यह बहुत गौरव की बात थी।

    जनवरी 2019 में उन्होंने इस्तीफा दिया, लेकिन इसे मंजूर नहीं किया गया।

    उन्होंने जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट पार्टी बना ली, लेकिन इसके बाद अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर का दर्जा बदल गया।

    इसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। इसके बाद वहां कोई चुनाव भी नहीं हुआ।

    क्या कोई IAS अधिकारी इस्तीफा वापस ले सकता है?

    एक बार इस्तीफा स्वीकार हो गया हो तो उसे वापस लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

    लेकिन इस्तीफा अगर मंजूर नहीं किया गया हो तो उसकी वापसी पर विचार किया जा सकता है।

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