चारधाम यात्रा पर जाने वाले 60 से ज्यादा तीर्थयात्रियों की अब तक मौत हो चुकी है। इनमें 66% लोग डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर के मरीज थे। केदारनाथ यात्रा के दौरान सबसे ज्यादा मौतें दर्ज की गई हैं। चारधाम यात्रा कब शुरू हुई और किन जगहों पर तीर्थयात्री करते हैं दर्शन? चारधाम यात्रा 3 मई से शुरू हुई है। इसमें तीर्थयात्री केदारनाथ, ब्रदीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के दर्शन कर रहे हैं।
डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर वाले मरीजों की मौत क्यों हो रही है?
चारों धाम हिमालय की ऊंची पहाड़ी पर मौजूद हैं। जब तीर्थयात्री यहां पहुंचते हैं तो अचानक उन्हें कम तापमान, ज्यादा अल्ट्रावॉयलेट रेज, लो एयर और कम ऑक्सीजन की मुश्किल झेलनी पड़ती है। वहीं जमीन पर ऑक्सीजन और नाइट्रोजन का लेवल बैलेंस रहता है। जैसे-जैसे तीर्थयात्री पहाड़ों पर चढ़ते जाते हैं, वैसे-वैसे ऑक्सीजन का लेवल कम होता जाता है। कम ऑक्सीजन का शरीर पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और आर्द्रता (ह्यूमिडिटी) की वजह से बॉडी डीहाइड्रेट होने लगती है।
चारधाम यात्रा पर जाने वाले 60 से ज्यादा तीर्थयात्रियों की अब तक मौत हो चुकी है
हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, डायबिटीज और ब्लड प्रेशर के मरीजों के शरीर का तापमान अचानक बदलता है। इससे दिल की नसें सिकुड़ने लगती हैं, ब्लड सर्कुलेशन में भी दिक्कत आती है। ऐसी सिचुएशन में भी लोग पहाड़ों पर चढ़ाई जारी रखते हैं। इससे फिजिकल एक्टिविटी होती रहती है और डायबिटीज और ब्लड प्रेशर के मरीजों के शरीर पर उल्टा प्रभाव पड़ता है। ये सारी दिक्कतें ही मौत का कारण बन जाती हैं।
ऊंची पहाड़ियों पर हार्ट अटैक आने का क्या कारण हो सकते हैं?
डॉक्टरों के मुताबिक, पहाड़ पर पला-बढ़ा व्यक्ति|
मैदानी इलाकों के इंसान की शारीरिक क्षमता में अंतर होता है।
ऊंचाई पर हवा पतली होती है। वहां ऑक्सीजन की कमी हो जाती है।
ऐसे में मैदानी इलाके वाले लोगों को पहाड़ों पर सांस लेने में समस्या आती है।
ऑक्सीजन की कमी के कारण ही हार्ट अटैक आता है|
लोगों की जान चली जाती है।
मौत की घटनाएं बढ़ने के बाद क्या डायबिटीज और ब्लड प्रेशर के मरीज अब चारधाम यात्रा पर जा सकेंगे?
उत्तराखंड की स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. शैलजा भट्ट के अनुसार, मेडिकली अनफिट लोगों को यात्रा न करने की सलाह दी गई है।
जो लोग पहले से यात्रा पर बीमार हैं, उन्हें बीच में ही रोक दिया गया है।