शिवसेना के संविधान के अनुसार, पार्टी प्रमुख की नियुक्ति प्रतिनिधि सभा द्वारा की जाती है, जिसमें सांसदों और विधायकों के अलावा जिला प्रमुख, नगर प्रमुख और अन्य पार्टी कार्यकर्ता सदस्य होते हैं।
शिवसेना के बागी विधायकों के तेवर से उद्धव ठाकरे की मुख्यमंत्री की कुर्सी हाथ से निकल गई। शिवसेना विभाजित हो गई है। हालांकि, पार्टी के चुनाव चिन्ह और नाम को लेकर जारी विवाद अभी तक आधिकारिक तौर पर भारत के चुनाव आयोग तक नहीं पहुंचा है। आपको यहां यह बता दें कि चुनाव आयोग पार्टी विभाजन और ऐसे विवादों पर स्वत: संज्ञान नहीं लेता है। अभी तक शिवसेना को कोई गुट भी आयोग के पास नहीं पहुंचा है।