चीन ने हिंद महासागर में एक और जासूसी जहाज भेजा है। यह जहाज भारत के पहले से तय मिसाइल परीक्षण से कुछ दिन पहले हिंद महासागर में भेजा गया है। इससे पहले अगस्त में चीन ने इसी तरह के एक और जासूसी जहाज युआन वांग 5 को श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर डॉक किया था। चीन का सबसे खतरनाक जासूसी जहाज भारत से सिर्फ 700 मील की दूरी पर एक हफ्ते के लिए मौजूद था। चीन की नौसेना की तरफ से इस क्षेत्र में भेजे जाने वाले जासूसी जहाज एक ही श्रेणी के होते हैं। इन्हें मिसाइल परीक्षणों और सैटेलाइट की गतिविधियों की निगरानी के लिए डिजाइन किया गया है।
मिसाइल टेस्ट से पहले किया जाता हैं एरिया को ब्लॉक
दरअसल, किसी भी मिसाइल टेस्ट से पहले फायरिंग रेंज में आने वाले क्षेत्रों के लिए चेतावनी जारी की जाती है, इसलिए भारतीय नौसेना ने मिसाइल का परीक्षण करने के अपने इरादे की घोषणा करते हुए 10-11 नवंबर को बंगाल की खाड़ी से लेकर हिंद महासागर तक नो फ्लाई ज़ोन बनाए जाने की घोषणा की थी। ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस स्पेशलिस्ट डेमियन साइमन ने बताया है कि भारत 10-11 नवंबर के बीच ओडिशा के तट पर अब्दुल कलाम द्वीप से एक मिसाइल टेस्ट कर सकता है। इस मिसाइल की फ्लाई रेंज 2,200 किमी. की हो सकती है। इसलिए पश्चिम में श्रीलंका और पूर्व में इंडोनेशिया के बीच उस एरिया को ब्लॉक कर दिया गया है, जो मिसाइल की टेस्टिंग रेंज में है।
हिंद महासागर में चीनी जासूसी जहाज के आने की खबर के बाद से भारतीय नौसेना चौकन्नी हो गई है। कई दिनों से चीनी जासूसी जहाज की आवाजाही पर सक्रिय रूप से नजर रखी जा रही है। भारत की चिंता है कि चीन अब उस मिसाइल को ट्रैक करने की कोशिश कर रहा है जिसका वह आने वाले दिनों में परीक्षण कर सकता है। चीनी जहाज मिसाइल की क्षमताओं जैसे प्रक्षेपवक्र, गति, सीमा और सटीकता के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी हासिल कर सकता है। भारत अक्सर व्हीलर द्वीप से बैलिस्टिक मिसाइलों का परीक्षण करता है, जो एक निर्दिष्ट मिसाइल परीक्षण रेंज है।