देश में पहली बार प्राइवेट स्पेस कंपनी “स्काईरूट” शुक्रवार को अपना रॉकेट लॉन्च करने जा रही है। कंपनी के विक्रम-एस रॉकेट को श्रीहरिकोटा में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के लॉन्चपैड से सुबह 11.30 बजे लॉन्च किया जाएगा।
स्काईरूट एयरोस्पेस ने दो सालों में विक्रम-एस रॉकेट को विकसित किया है। कंपनी के लिए यह लॉन्च बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन 80 प्रतिशत तकनीकों को मान्यता दिलाने में मदद करेगा, जिनका उपयोग विक्रम-1 कक्षीय वाहन में किया जाएगा, जिसे अगले साल लॉन्च किया जाना है। विक्रम-एस का प्रक्षेपण सब-ऑर्बिटल होगा, यानी इसमें यान ऑर्बिटल वेलोसिटी से कम गति से यात्रा करेगा। इसका मतलब यह है कि जब यान बाहरी अंतरिक्ष में पहुंचेगा, यह पृथ्वी के चारों ओर ऑर्बिट में नहीं रहेगा। उड़ान में पांच मिनट से भी कम समय लगेगा। वहीं, विक्रम-1 एक बड़ा यान होगा, जो ऑर्बिटल की उड़ान भरेगा।
कार्बन कंपोजिट का उपयोग करके बनाया गया रॉकेट
स्काईरूट ने रॉकेटों की इस विक्रम श्रृंखला का नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के संस्थापक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा है। ये रॉकेट दुनिया के कुछ लॉन्च वाहनों में से हैं, जिन्हें कार्बन कंपोजिट का उपयोग करके बनाया गया है। वाहन में स्पिन स्टेबिलिटी के लिए इस्तेमाल होने वाले थ्रस्टर्स को 3डी प्रिंटेड किया गया है। स्काईरूट कंपनी 2018 में शुरू की गई थी।
वहीं, प्रक्षेपण यान में इस्तेमाल होने वाले इंजन का नाम पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर ‘कलाम-80’ रखा गया है। कंपनी ने कहा कि इस लॉन्च से भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में पहला निजी रॉकेट निर्माता बनने पर बहुत गर्व महसूस कर रही है। वहीं, प्रक्षेपण यान में इस्तेमाल होने वाले इंजन का नाम पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर ‘कलाम-80’ रखा गया है।
कंपनी ने कहा कि इस लॉन्च से भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में पहला निजी रॉकेट निर्माता बनने पर बहुत गर्व महसूस कर रही है। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने बताया कि लगभग 100 स्टार्ट-अप कंपनियों ने पंजीकरण कराया है और वे “अंतरिक्ष क्षेत्र के विभिन्न डोमेन” में इसके साथ मिलकर काम कर रहे हैं।