सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में तीसरी बार एक महिला बेंच (All Women Bench) मामलों की सुनवाई करेगी। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ (CJI D Y Chandrachud) ने बुधवार को जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ गठित की।
गुरुवार को जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ के पास 32 मामले सूचीबद्ध हैं, जिसमें वैवाहिक विवादों से जुड़े मामले, 10 ट्रांसफर पिटीशन और 10 जमानत की अर्जियां शामिल हैं। पहली बार सुप्रीम कोर्ट में 2013 में एक महिला बेंच थी जब जस्टिस ज्ञान सुधा मिश्रा और रंजना प्रकाश देसाई एक साथ बैठे थे। दूसरा मौका 2018 में आया जब जस्टिस आर भानुमति और इंदिरा बनर्जी की एक बेंच 5 सितंबर को एक साथ बैठी थी।
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में केवल तीन महिला जस्टिस
सुप्रीम कोर्ट में वर्तमान में केवल तीन महिला न्यायाधीश हैं; जस्टिस हिमा कोहली, जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी। जस्टिस कोहली का कार्यकाल जहां सितंबर 2024 तक है, जस्टिस त्रिवेदी जून 2025 तक पद संभालेंगी। वहीं, जस्टिस नागरत्ना 2027 में देश की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बन सकती हैं।
सुप्रीम कोर्ट में फिलहाल 34 की स्वीकृति के मुकाबले 27 न्यायाधीशों की कार्य क्षमता है। जनवरी 2023 में यह वेकेंसी बढ़कर आठ हो जाएगी। जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर 4 जनवरी 2023 को सेवानिवृत्त होने वाले हैं। अगले साल जस्टिस नज़ीर के अलावा सात और न्यायाधीश का कार्यकाल भी पूरा होगा।
सुप्रीम कोर्ट में पहली महिला न्यायाधीश साल 1989 में थीं
सुप्रीम कोर्ट में पहली महिला न्यायाधीश 1989 में थीं। जब न्यायमूर्ति एम फातिमा बीवी को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद केरल हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। उनके बाद जस्टिस सुजाता मनोहर, रूमा पाल, ज्ञान सुधा मिश्रा, रंजना प्रकाश देसाई, आर भानुमति, इंदु मल्होत्रा, इंदिरा बनर्जी, जस्टिस हिमा कोहली, जस्टिस नागरत्ना और जस्टिस त्रिवेदी थीं। जस्टिस कोहली, जस्टिस नागरत्ना और जस्टिस त्रिवेदी को एक ही दिन 2 सितंबर, 2021 को भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना के कार्यकाल के दौरान शपथ दिलाई गई थी।
जस्टिस बनर्जी इसी साल 23 सितंबर को सेवानिवृत्त हुई थीं। न्यायमूर्ति कोहली शीर्ष सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति से पहले तेलंगाना हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश थीं। वहीं, जस्टिस त्रिवेदी सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति से पहले गुजरात हाईकोर्ट की जज थीं।