हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत के बाद माणिक साहा को त्रिपुरा के मुख्यमंत्री के रूप में फिर से चुना गया। सोमवार को बीजेपी विधायक दल की बैठक में उनके नाम पर सहमति बनी थी और उन्होंने बुधवार को पद की शपथ ली।
साहा की नई कैबिनेट में भाजपा के आठ और आईपीएफटी के सदस्य को शपथ दिलाई गई। राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य ने रतनलाल नाथ, प्राणजीत सिंघा रॉय, सांतना चकमा, टिंकू रॉय और बिकाश देबबर्मा सहित आठ मंत्रियों को भी शपथ दिलाई। इनमें से पांच नए चेहरे हैं, जबकि पहले के मंत्रिमंडल में शामिल रहे चार मंत्रियों को भी नए मंत्रिमंडल में जगह मिली है।
त्रिपुरा में नई कैबिनेट के मंत्री
- रतन लाल नाथ
- प्राणजीत सिंघा रॉय
- सांतना चकमा
- सुशांत चौधरी
- बिकास देबबर्मा
- सुधांग्शु दास
- सुक्ला चरण नोआतिया
बहुमत के साथ सत्ता में लौटी भाजपा
भाजपा ने पूर्ण बहुमत हासिल कर राज्य की सत्ता में वापसी की है। भारत के चुनाव आयोग के अनुसार, त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में भाजपा ने लगभग 39 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 32 सीटें जीतीं। टिपरा मोथा पार्टी 13 सीटें जीतकर दूसरे नंबर पर रही। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) को 11 सीटें मिलीं जबकि कांग्रेस को तीन सीटें मिलीं। इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) ने एक सीट जीतकर अपना खाता खोलने में कामयाबी हासिल की।
कांग्रेस-वाम दलों ने मिलकर लड़ा था चुनाव
भाजपा को सत्ता से बेदखल करने के लिए इस बार पूर्वोत्तर में सीपीआई (एम) और कांग्रेस, जो केरल में कट्टर प्रतिद्वंद्वी हैं, एक साथ आए। सीपीआई (एम) और कांग्रेस का संयुक्त वोट शेयर लगभग 33 प्रतिशत रहा। निवर्तमान मुख्यमंत्री साहा ने टाउन बोरडोवली सीट से कांग्रेस के आशीष कुमार साहा को 1,257 मतों के अंतर से हराया। 60 सदस्यीय त्रिपुरा विधानसभा में बहुमत के लिए 31 सीटें जरूरी है।
भाजपा ने 2018 से पहले त्रिपुरा में एक भी सीट नहीं जीती थी
भाजपा ने 2018 से पहले त्रिपुरा में एक भी सीट नहीं जीती थी। पिछले चुनाव में आईपीएफटी के साथ गठबंधन में सत्ता में आई थी और 1978 से 35 वर्षों तक सीमावर्ती राज्य में सत्ता में रहे वाम मोर्चे को बेदखल कर दिया था। भाजपा ने 55 सीटों पर और उसकी सहयोगी आईपीएफटी ने छह सीटों पर चुनाव लड़ा था। लेकिन दोनों सहयोगियों ने गोमती जिले के अम्पीनगर निर्वाचन क्षेत्र में अपने उम्मीदवार उतारे थे।