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    असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए PhD जरूरी नहीं, जानिए नया नियम

    विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने घोषणा की है कि नए नियमों के तहत कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में सहायक प्रोफेसर पदों के लिए पीएचडी डिग्री की आवश्यकता नहीं है. असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के इच्छुक छात्रों के लिए यह अच्छी खबर है, क्योंकि इस डिग्री की आवश्यकता को समाप्त कर दिया गया है.

    विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में Assistant Professor के पदों पर भर्ती के लिए पीएचडी अनिवार्य नहीं होगी. इसके लिए अब सिर्फ यूजीसी राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा यानी UGC NET में योग्यता पर्याप्त मानी जाएगी.

    सभी कॉलेजों में लागू

    देश के विश्वविद्यालयों में पढ़ाने का सपना देखने वाले युवाओं के लिए एक राहत भरी खबर है. पहले विश्वविद्यालयों में पढ़ाने के लिए पीएचडी की डिग्री अनिवार्य थी. लेकिन अब नए नियम से छात्रों को राहत मिलेगी. उस्मानिया विश्वविद्यालय कैंपस में नवनिर्मित यूजीसी-एचआरडीसी भवन का उद्घाटन यूजीसी के अध्यक्ष ने किया. इस दौरान उन्होंने दर्शकों से बातचीत की.

    यूजीसी के अध्यक्ष ने घोषणा की कि एक राष्ट्र-एक डेटा पोर्टल विकसित किया जा रहा है, जिसमें यूजीसी के सभी दिशानिर्देश और अन्य विवरण होंगे. उन्होंने यह भी घोषणा की कि अगले शैक्षणिक वर्ष से छात्र सीधे राष्ट्रीय डिजिटल विश्वविद्यालय से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे.

    UGC chairman

    PhD के लिए 6 साल

    हाल ही में, यूजीसी की ओर से पीएचडी कोर्स को लेकर नए नियम लागू किए गए थे. नए नियम के तहत PhD के लिए उम्मीदवारों को एडमिशन की डेट से अधिकतम छह साल का समय दिया जाएगा. उम्मीदवारों को री-रजिस्ट्रेशन के जरिए ज्यादा से ज्यादा दो साल का और समय दिया जाएगा. यूजीसी चेयरमैन ने इसकी जानकारी दी थी.

    नियम के तहत ऑनलाइन या डिस्टेंस लर्निंग से पीएचडी पर रोक लगा दी गई है. इससे पहले थीसिस जमा कराने से पहले शोधार्थी को कम से कम दो शोधपत्र छपवाना पड़ता था. अब पीएचडी के नए नियमों में इसकी छूट दी गई है. रिसर्च की प्रक्रिया के दौरान दो रिसर्च पेपर छपवाने की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है.

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