2022 में देश में 23 कंपनियां ऐसी थीं, जिनका वैल्यूएशन एक अरब डॉलर था। यह चीन से ज्यादा है, जिसकी पिछले साल इस कैटेगरी में 11 कंपनियां थीं। भारत ने लगातार दूसरी बार इस क्षेत्र में चीन को पीछे छोड़ दिया है। आईवीसीए-बैन एंड कंपनी द्वारा उद्धृत रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 की तुलना में इस वर्ष भारत में यूनिकॉर्न बनने वाली कंपनियों की संख्या में 96 की वृद्धि हुई है।
उस समय देश में 44 यूनिकॉर्न बने थे और उस वर्ष इनकी कुल संख्या 73 पर पहुंच गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक इस वर्ष 23 यूनिकॉर्न में से नौ शीर्ष तीन महानगरों को छोड़कर दूसरे शहरों से हैं। यह बताता है कि वित्तपोषण अब छोटे शहरों में काम करने वाले स्टार्टअप को भी मिल रहा है। कुल वित्तपोषण में छोटे शहरों के स्टार्टअप को मिलने वाला वित्तपोषण 18 प्रतिशत बढ़ गया है। इसमें कहा गया कि 2022 में व्यापक आर्थिक अनिश्चितता और मंदी की आशंका बढ़ने से निवेश की गति प्रभावित हुई और देश में उद्यम पूंजी निवेश घट गया।
प्रतिकूल परिस्थितियों के हावी होने से निवेश की गति साल की दूसरी छमाही में ज्यादा प्रभावित हुई। बेन एंड कंपनी ने यह वार्षिक रिपोर्ट इंडियन वेंचर एंड अल्टरनेट कैपिटल एसोसिएशन (आईवीसीए) के साथ मिलकर तैयार की है। इसमें कहा गया कि घरेलू स्टार्टअप परिवेश में सौदे के मूल्य में 33 प्रतिशत का संकुचन आने के बावजूद देश 23 यूनिकॉर्न जोड़ पाया है।
सौदे का मूल्य 2021 के 38.5 अरब डॉलर से घटकर 2022 में 25.7 अरब डॉलर रह गया। बेन एंड कंपनी में साझेदार अर्पण सेठ ने कहा कि आगे जाकर भी व्यापक आर्थिक प्रतिकूल परिस्थितियां वित्त पोषण को प्रभावित करेंगी लेकिन 2023 में देश में और अधिक जुझारू परिवेश बनने की उम्मीद भी है। आईवीसीए के अध्यक्ष रजत टंडन ने कहा, ‘‘उद्योग की दीर्घकालिक वृद्धि की संभावनाओं और अनिश्चितताओं से पार पाकर अवसरों की पहचान करने की उसकी क्षमता को लेकर हम आशावादी हैं।