भाजपा नेताओं ने रिजर्व बैंक के इस नोटिफिकेशन का स्वागत किया है और उनका कहना है कि आम जनता के पास दो हजार के ज्यादा नोट नहीं हैं। ऐसे में आम जनता को इससे परेशानी नहीं होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव रह चुके नृपेंद्र मिश्र का कहना है कि जब 2016 में नोटबंदी हुई थी, उस वक्त भी पीएम मोदी 2000 का नोट लाने के पक्ष में नहीं थे, क्योंकि उन्हें लगता था कि रोजाना के लेन-देन के हिसाब से यह ठीक नहीं है। मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से यह खबर सामने आई है। वहीं नृपेंद्र मिश्र के इस बयान से कांग्रेस ने नाराजगी जाहिर की है और कहा है कि यह सिर्फ लीपापोती की कोशिश है। बता दें कि रिजर्व बैंक ने बीते शुक्रवार को नोटिफिकेशन जारी कर 2000 के नोट सर्कुलेशन से बाहर करने का निर्देश जारी किया है।
2000 के नोटों को वापस लेने के फ़ैसले पर अरविंद पनगढ़िया ने क्या कहा?
नीति आयोग के वाइस चेयरमैन रहे अर्थशास्त्री अरविंद पनगढ़िया ने कहा है कि 2000 के नोटों को वापस लेने के फैसले का भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा
रिजर्व बैंक ने जारी किया था नोटिफिकेशन
बता दें कि रिजर्व बैंक ने 2000 के नोट को सर्कुलेशन से बाहर करने का नोटिफिकेशन जारी किया है। जिसके तहत 23 मई से 30 सितंबर तक दो हजार के नोट बैंकों से बदलवाए जा सकेंगे। एक बार में अधिकतर 10 नोट यानी कि कुल 20 हजार रुपए के नोट ही बदलवाए जा सकेंगे। रिजर्व बैंक ने कहा कि दो हजार के नोट की छपाई 2018-19 में ही बंद कर दी गई थी।