नई दिल्ली, जेएनएन। बीसीसीआइ ने गुरुवार को भारत के पूर्व कप्तान अजित वाडेकर के निधन पर शोक जताते हुए उन्हें भारतीय क्रिकेट का पुनरोद्धारक कहा, जिनके जाने से बड़ा खालीपन पैदा हो गया है। भारत को इंग्लैंड और वेस्टइंडीज में पहली टेस्ट सीरीज जीत दिलाने वाले वाडेकर का लंबी बीमारी के बाद बुधवार को मुंबई में 77 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। बीसीसीआइ सचिव अमिताभ चौधरी ने कहा, ‘पहले एक बल्लेबाज के तौर पर और फिर कप्तान के तौर पर वह भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाइयों तक ले गए। इसके बाद वह कोच, मैनेजर और चयन समिति के अध्यक्ष भी रहे। अपने खेलने के दिनों में मिले अनुभव का इस्तेमाल उन्होंने कोच और मैनेजर के रूप में मानव प्रबंधन में किया।
बोर्ड के सीईओ राहुल जौहरी ने कहा, ‘उन्हें भारतीय क्रिकेट के पुनरोद्धारक के रूप में याद रखा जाएगा। इंग्लैंड और वेस्टइंडीज दो काफी मजबूत टीमें थीं और उन्हें उनकी सरजमीं पर हराना लगभग नामुमकिन था। वाडेकर के करिश्माई नेतृत्व में भारतीय क्रिकेट का वह सुनहरा सत्र था। इससे हर किसी में आत्मविश्वास जगा और भारतीय क्रिकेट ने प्रगति की।
वाडेकर ने टेस्ट में 46, वनडे में एक और प्रथम श्रेणी करियर में 271 कैच लपके। टेस्ट करियर में उन्होंने एकमात्र शतक न्यूजीलैंड के खिलाफ 1968 में वेलिंगटन में लगाया। इस टेस्ट की पहली पारी में उन्होंने 143 रन बनाए थे। भारत ने यह टेस्ट आठ विकेट से जीता था। वाडेकर चार बार नर्वस नाइंटीज का भी शिकार बने, जिसमें एक बार वह 99 रन पर आउट हुए थे।
रणजी ट्रॉफी में 17 वर्षो के करियर में उन्होंने 73 मैचों में कुल 4288 रन बनाए जिनमें उनका औसत 57.94 था। उन्होंने 1966-67 में मैसूर के खिलाफ रणजी ट्रॉफी मैच में 323 का सर्वश्रेष्ठ स्कोर बनाया। उन्होंने 18 दलीप ट्रॉफी मैच खेले, छह में वह पश्चिम क्षेत्र के कप्तान रहे।
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