ऐसी स्थिति थी कि महाराष्ट्र के पुणे जिले के तालेगांव शहर के अंबी में एक गर्ल्स स्कूल के बाथरूम में कुछ कैमरे लगाए गए थे. इसकी जानकारी अभिभावकों को हुई तो वे नाराज हो गये, तो विभिन्न संगठनों के कुछ लोगों ने प्राचार्य को चोट पहुंचायी. विहिप और बजरंग दल के लोगों ने प्रिंसिपल को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा. यह घटना 4 जुलाई को दोपहर में डीवाई पाटिल हाई स्कूल में हुई. घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया जा रहा है.
इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर के मुताबिक इस तरह के मामले की दो शिकायत मिलने के बाद वीएचपी और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं का एक ग्रुप अंबी स्थित डीवाई पाटिल हाई स्कूल के छात्रों के कई माता-पिता के साथ पहुंचा. आरोप है कि कक्षा 8-12 तक में पढ़ने वाली छात्राओं के शौचालय क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरा लगाया गया था. स्कूल पर कथित तौर पर यह भी आरोप लगाये गये हैं कि दूसरे धर्मो की बजाय उसमें ईसाई धर्म की प्रार्थना करवाई जाती है.
जब पुलिस ने इस लोकप्रिय वीडियो को देखा, तो उन्होंने लोगों के एक बड़े समूह को स्कूल के प्रिंसिपल अलेक्जेंडर कोट्स रीड के पीछे चिल्लाते और भागते देखा. उनका मानना है कि उन्हें चोट लगी है और उनके कपड़े फट गये हैं. स्कूल के अंदर लोग उसका पीछा कर रहे थे.
तालेगांव एमआईडीसी पुलिस स्टेशन में शांति बनाए रखने के लिए स्कूल बंद कर दिया गया
बावजूद इसके घटना के बाद से बृहस्पतिवार तक प्रिंसिपल अलेक्जेंडर रीड और स्कूल प्रशासन की ओर से तालेगांव एमआईडीसी पुलिस स्टेशन में किसी प्रकार की कोई शिकायत दर्ज नहीं करवाई गई है. पुलिस स्टेशन के प्रभारी इंस्पेक्टर रंजीत सावंत के अनुसार गुरुवार देर रात तक शिकायत के साथ पुलिस से कोई संपर्क नहीं किया गया है. बताया जाता है कि मामला बढ़ने पर स्कूल ने अभिभावकों को सूचित किया कि 6 जुलाई से अगली सूचना तक स्कूल बंद रहेगा. स्कूल में करीब 900 छात्र व छात्राएं हैं.
इस मामले में प्रिंसिपल व स्कूल प्रशासन से बात करने के कई प्रयास किए गए लेकिन किसी तरह से कोई टिप्पणी नहीं मिल पाई है. एक अंतर-संप्रदाय चर्च समूह के प्रमुख पादरी राजेश केलकर का कहना है कि उन्होंने घटना के बाद रीड से बात की, और गुरुवार शाम को फिर से लीगल स्पोर्ट देने की बात कही. केलकर पिंपरी-चिंचवड़ में क्रिश्चियन फोरम के प्रमुख हैं, ने कहा कि प्रिंसिपल पर जिस तरह से हमला किया गया वो उस घटना को लेकर पूरी तरह से खुद को अपमानित महसूस कर रहे हैं.
केलकर का कहना है कि किसी को भी कानून को हाथ में लेना सही नहीं है. प्रबंधन और प्रिंसिपल से (हमलावरों के खिलाफ) शिकायत दर्ज करने की अपील करते हैं. वहीं एक साधारण प्रार्थन को धर्मांतरण के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है.