Chandrayaan-3 के विक्रम लैंडर में कमांड लोड किए गए हैं और इसे दोपहर तक लॉक किया जाएगा। वर्तमान में लैंडर के सभी अंगों की जांच प्रगति पर है और हेल्थ चेकअप कार्रवाई में है। लेकिन प्रश्न यह है कि लैंडर को कमांड किसने भेजा? कौन सी टीम Chandrayaan-3 के कमांड को निर्धारित कर रही है? इसका नियंत्रण कक्ष मुद्दा है?
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वर्तमान में, चंद्रयान-3 25 किलोमीटर x 134 किलोमीटर की ऑर्बिट में घूम रहा है, लेकिन लैंडिंग की शुरुआत वह 30.5 किलोमीटर से करेगा। इसके लिए उसे आवश्यक कमांड देने की प्रक्रिया अनुसरण की गई है। यहाँ लैंडिंग कैसे करनी है, कहाँ करनी है, जगह कैसे चुननी है, कितनी देर और कितनी गति में लैंडिंग करनी है – इन सभी प्रश्नों के उत्तर के लिए उचित कमांड दिया गया है। यह कमांड किसी विशेष टीम द्वारा प्रदान की जाती है।विक्रम लैंडर और रोवर की स्थिति की जांच दो प्रमुख केंद्र होते हैं। पहला कमांड सेंटर सतीश धवन स्पेस सेंटर में होता है, जो रॉकेट के प्रक्षेपण से लेकर सैटेलाइट की ऑर्बिट तक के सभी कार्यों का नियंत्रण करता है।
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बेंगलुरु स्थित इस्ट्रैक सेंटर
बेंगलुरु स्थित इस्ट्रैक, जिसे इसरो टेलिमेंट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (ISRO Telemetry, Tracking And Command Network – ISTRAC) कहा जाता है। यह सेंटर दुनियाभर में फैले इसरो के छोटे-छोटे सेंटरों, नासा, यूरोपियन स्पेस एजेंसियों और अन्य कई देशों के रेडार सिस्टम के माध्यम से अपने सैटेलाइट्स और स्पेसक्राफ्ट्स की निगरानी करता है।
इसके भीतर मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स (MOX) स्थित है, जो विभिन्न सैटेलाइट्स और स्पेसक्राफ्ट की स्थिति, हालत और दिशा का निरीक्षण करते हैं और उनसे आवश्यक कार्य करवाते हैं। इसका कार्य वास्तव में नासा के ह्यूस्टन केंद्र की तरह होता है।
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