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    रहस्यमयी फंड्स का अदाणी शेयरों में बड़ा निवेश; सोरोस के OCCRP का दावा

    रहस्यमयी फंड्स

    Hindenburg 2.0: ओसीसीआरओ ने दावा किया कि अदाणी परिवार के साथ रहस्यमयी फंड्स निवेशकों नासिर अली शबान अहली और चैंग चुंग-लिंग के लंबे समय से व्यापारिक संबंध हैं और गौतम अदाणी के बड़े भाई विनोद अदाणी के समूह की कंपनियों और फर्मों में ये निवेशक निदेशक और शेयरधारक के रूप में भी काम कर चुके हैं।

    जॉर्ज सोरोस और रॉकफेलर ब्रदर्स फंड जैसे संगठनों की आरे से वित्त पोषित संगठन द्वारा ताजा आरोप ऐसे समय लगाए गए हैं, जब कुछ महीने पहले ही एक अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग ने अरबपति गौतम अदाणी की ओर से संचालित बंदरगाह-से-ऊर्जा क्षेत्र में काम करने वाले समूह पर लेखा धोखाधड़ी, स्टॉक मूल्य में हेरफेर और टैक्स हेवन के अनुचित उपयोग के आरोप लगाए थे। इस खुलासे के बाद अदाणी समूह के शेयरों के मूल्य में लगभग 150 अरब बिलियन डॉलर की गिरावट दर्ज की गई थी। हालांकि अदाणी समूह ने सभी आरोपों से इनकार किया था।

    कई टैक्स हेवन देशों की फाइलों और अदाणी समूह के आंतरिक ई-मेल की समीक्षा का हवाला देते हुए ओसीसीआरपी ने कहा कि उसकी जांच में कम से कम दो ऐसे मामले सामने आए, जहां ‘रहस्यमयी’ निवेशकों ने इस तरह के ऑफशोर स्ट्रक्चर (गुमनाम फंड्स) के जरिए अदाणी के शेयर खरीदे और बेचे।

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    अदाणी समूह ने बयान जारी कर आरोपों को सिरे से नकारा

    ओसीसीआरओ ने दावा किया कि अदाणी परिवार के साथ रहस्यमयी फंड्स निवेशकों नासिर अली शबान अहली और चैंग चुंग-लिंग के लंबे समय से व्यापारिक संबंध हैं और गौतम अदाणी के बड़े भाई विनोद अदाणी के समूह की कंपनियों और फर्मों में ये निवेशक निदेशक और शेयरधारक के रूप में भी काम कर चुके हैं। इसमें आरोप लगाया गया है कि दस्तावेजों से पता चलता है कि उनके निवेश की प्रभारी प्रबंधन कंपनी ने विनोद अदाणी कंपनी को उनके निवेश में सलाह देने के लिए भुगतान किया।

    ओसीसीआरपी के आरोपों पर अदाणी समूह ने बयान जारी कर कहा, “हम इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हैं। ये समाचार रिपोर्टें सोरोस से वित्त पोषित विदेशी मीडिया के एक वर्ग की ओर से जानबूझकर प्रकाशित की जा रही हैं। ये मेरिटलेस हिंडनबर्ग रिपोर्ट को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे हैं।

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    असल में, ऐसे अनुमान पहले ही लगाए गए थे, पिछले हफ्ते मीडिया में भी ऐसे दावे किए गए थे। ये दावे एक दशक पहले ही बंद हो चुके मामलों पर आधारित हैं। उस वक्त राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने ओवर इनवॉयसिंग, विदेश में धन के हस्तांतरण, संबंधित पार्टी लेनदेन और एफपीआई के माध्यम से निवेश के आरोपों की जांच की थी।

    “अदाणी समूह ने ओसीसीआरपी को बताया कि मॉरीशस के फंड का नाम पहले ही अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिपोर्ट में आ चुका है और ये आरोप न केवल निराधार और अप्रमाणित हैं, बल्कि हिंडनबर्ग के आरोपों से अलग हैं।

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    अदाणी समूह ने कहा- हम सभी कानूनों का अनुपालन कर रहे

    अदाणी समूह ने ओसीसीआरपी से कहा, ”यह स्पष्ट रूप से कहा जाता है कि अदाणी समूह की सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध सभी इकाइयां सार्वजनिक शेयर धारिता से संबंधित नियमन समेत सभी लागू कानूनों का अनुपालन कर रही हैं।

    पीटीआई ने 24 अगस्त को खबर दी थी कि सोरोस की ओर से वित्त पोषित संगठन, जो खुद को 24 गैर-लाभकारी जांच केंद्रों की ओर से गठित एक खोजी रिपोर्टिंग मंच कहता है। यह यूरोप, अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में फैला हुआ है। यह एक शीर्ष भारतीय कॉरपोरेट के खिलाफ नए आरोपों के प्रकाशन की योजना बना रहा है।

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    ओसीसीआरपी ने पूछा कि क्या यह माना जाए कि अहली और चांग अदाणी समूह के प्रमोटरों की ओर से काम कर रहे हैं। इसमें कहा गया है, “अगर ऐसा है तो अदाणी समूह में उनकी हिस्सेदारी का मतलब होगा कि अंदरूनी लोगों के पास गैरकानूनी तरीके से 75 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी है।    इसमें कहा गया है कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि चांग और अहली का पैसा अदाणी परिवार से आ रहा था, लेकिन कहा कि इसकी जांच से पता चला है कि इस बात के सबूत हैं कि अदाणी के शेयरों में निवेश को परिवार की ओर से कॉर्डिनेट किया गया।

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    रिपोर्ट में कहा गया है, “अदाणी समूह का बाजार पूंजीकरण सितंबर 2013 में आठ अरब डॉलर थे जो पिछले साल बढ़क 260 अरब डॉलर हो गया। समूह परिवहन और रसद, प्राकृतिक गैस वितरण, कोयला व्यापार व उत्पादन, बिजली उत्पादन व ट्रांसमिशन, सड़क निर्माण, डेटा सेंटर और रियल एस्टेट सहित विभिन्न क्षेत्रों के कारोबार से जुड़ा है।”

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