मुस्लिम पक्ष, जिसे अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी कहा जाता है, ने ज्ञानवापी परिसर में हो रहे सर्वे को पूरा करने और रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए 8 सप्ताह का समय मांगने के एएसआइ के प्रार्थना पत्र के खिलाफ विरोध किया है। सोमवार को जिला जज की अदालत में, मुस्लिम पक्ष,मसाजिद कमेटी ने आपत्ति दाखिल की और कहा कि जिस हलफनामे कोर्ट में प्रस्तुत किया गया है, उसके विपरित सर्वे कार्य किया जा रहा है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को जीपीआर तकनीक के साथ सर्वे की अनुमति है, लेकिन ज्ञानवापी परिसर में खुदाई का काम जारी है। मलबे को ट्रक से हटाया जा रहा है, जिससे एएसआई टीम द्वारा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन किया जा रहा है। इस संदर्भ में, सर्वे के लिए और समय देने का न्यायिक विरोध किया जाना चाहिए।
Also read : SA vs AUS: ऑस्ट्रेलिया की नई नवेली टीम के सामने साउथ अफ्रीका हुई बुरी तरह फ्लॉप
56 दिन और मांगे ASI ने
जिला जज की अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए 8 सितंबर को तिथि तय की है। इसी दिन, ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मूल वाद में लंबित अन्य आवेदनों की भी सुनवाई होने वाली है। वर्तमान में, सर्वे कार्य जारी है, और इसकी रिपोर्ट अदालत को प्रस्तुत नहीं की गई है। पिछले शुक्रवार को ही, एएसआई ने ज्ञानवापी के सर्वे और उसकी रिपोर्ट तैयार करने के लिए 56 दिन (आठ सप्ताह) का समय मांगा था। एएसआई के स्टैंडिंग काउंसिल अमित श्रीवास्तव ने बताया कि ज्ञानवापी परिसर का एएसआई वैज्ञानिक जांच-सर्वे कर रहा है, जिसमें पुरातत्वविदों, पुरालेखविदों, सर्वेक्षणकर्ताओं, फोटोग्राफर, वीडियोग्राफर और अन्य तकनीकी कर्मियों की टीम शामिल है। इसके अलावा, राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई) के हैदराबाद के विशेषज्ञों की टीम जीपीआर सर्वे कर रही है, और प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण और अध्ययन भी किया जा रहा है।
Also read : चेम्बुर के बुजुर्ग में जीका वायरस के संक्रमण की पुष्टि, मुंबई में सामने आयो का पहला केस
एएसआई ने कहा – मलबे के सफाई में लग रहा समय।
स्टैंडिंग काउंसिल ने दाखिल अर्जी के माध्यम से कहा कि सर्वे और जांच के दौरान कई वस्तुएं मिली हैं। इसमें ढीली मिट्टी और निर्माण सामग्री शामिल हैं, जैसे की ईंट, कचरा, और मलबा। यह सभी वस्तुएं वैज्ञानिक रूप से संरचनाओं की जांच के लिए कामशील फर्श के स्तर से ऊपर पाई जा रही हैं। क्योंकि अदालत ने सभी खनन क्षेत्रों की जमीन के नीचे सर्वेक्षण करने का आदेश दिया है, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि वहां डंप या जमा मलबा को कोई हानि न पहुंचाए बिना हटाया जाए। मलबे को बहुत सावधानी से और संगठित तरीके से हटाया जा रहा है, जो एक धीमी प्रक्रिया है। इस विवादित स्थिति में, इसका मान्यवर प्रार्थना किया जा रहा है कि एएसआई को रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए और अधिक आठ सप्ताह का समय दिया जाए।
Also read : South Africa: जोहानिसबर्ग में बहुमंजिला इमारत में भीषण आग, 63 की मौत, 40 घायल