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    वो चार मौक़े जब भारत ने मालदीव को संकट से बाहर निकाला

    Maldives

    ऑपरेशन कैक्टस’ नामक घटना 1988 में हुई थी, जो मालदीव द्वीपसमूह में एक विद्रोह को नाकाम करने के लिए भारतीय सेना की मदद से की गई थी. मालदीव के राष्ट्रपति मौमून अब्दुल ग़यूम को भारत से लाने के लिए भारतीय विमान द्वारा माले आने जा रहा था. इस बीच, भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी को एक चुनाव के कारण दिल्ली छोड़ना पड़ा, और वह राष्ट्रपति ग़यूम से मिलने का आदान-प्रदान बाधित हो गया.

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    विद्रोह की योजना बनाने वाले अब्दुल्ला लुथूफ़ी और सिक्का अहमद इस्माइल मानिक ने चरमपंथी संगठन ‘प्लोट’ के लड़ाकुओं को पर्यटकों के भेष में स्पीड बोट्स के ज़रिए माले पहुंचा दिया था. विद्रोह शुरू होते ही सड़कों पर भाड़े के लड़ाकू गोलियां चलाई गईं और राजधानी माले में हलचल मच गई.

    मालदीव के राष्ट्रपति ने भारत से मदद मांगी, और तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने भारतीय सेना को भेजने का निर्णय लिया. भारतीय पैरा कमांडोज़ से भरे विमान ने मालदीव के लिए उड़ान भरी, और उन्होंने राजधानी माले को नियंत्रित किया. भारतीय सैनिकों ने राष्ट्रपति को सुरक्षित किया और सरकार को बचाने में सफल रहे

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    तूफानी लहरों के बीच ‘ऑपरेशन सी वेव्स’

    26 दिसंबर, 2004 को, एक भूकंप ने चेन्नई में हलचल मचाई जो बाद में सुनामी का कारण बना. इस त्रासदी में इंडोनेशिया, श्रीलंका, थाईलैंड, तंजानिया, और मालदीव जैसे देशों के तटों को प्रभावित किया गया. भारत ने ‘ऑपरेशन सी वेव्स’ के तहत मालदीव को मदद पहुंचाई, जिसमें विमान और हेलीकॉप्टरों के साथ राहत सामग्री भेजी गई. भारतीय सैना ने मालदीव में राहत कार्यों में सहायक होते हुए पीड़ितों को बचाया और मेडिकल सहायता पहुंचाई. इस राहत अभियान में करीब 36.39 करोड़ रुपये खर्च हुए और भारत ने मालदीव को आर्थिक मदद भी प्रदान की.

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    ‘ऑपरेशन नीर’ ने कैसे बुझाई मालदीव की प्यास

    2014 के दिसंबर में मालदीव के मुख्य शहर माले में स्थित सबसे बड़े वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट में आग लग गई थी, जिससे शहर के एक लाख लोगों को पीने के पानी की कमी हो गई थी. मालदीव की विदेश मंत्री ने भारतीय विदेश मंत्री से मदद मांगी और इस पर भारत ने ‘ऑपरेशन नीर’ की शुरुआत की. भारतीय वायुसेना ने सी-17 और आई एल-76 विमानों के माध्यम से पानी दिल्ली से माले पहुंचाया और समस्या के समाधान के लिए जहाजों से स्पेयर पार्ट्स भी भेजे. इस राहत अभियान में भारत ने मालदीव को करीब 374 टन पानी पहुंचाया और वाटर ट्रीटमेंट प्लांट को ठीक करने के लिए भी मदद की.

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    कोरोना में कैसे काम आया भारत

    साल 2020 में, जब पूरी दुनिया कोविड-19 से जूझ रही थी, भारत ने पड़ोसी प्रथम नीति के तहत मालदीव की मदद की. भारत सरकार ने मालदीव को कोविड-19 की स्थिति से निपटने के लिए एक बड़ी मेडिकल टीम भेजी, जिसमें पल्मोनोलॉजिस्ट, एनेस्थेटिस्ट, चिकित्सक और लैब-तकनीशियन शामिल थे. इसके बाद, 16 जनवरी 2021 को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में टीकाकरण अभियान की शुरुआत की, और भारत ने अगले 96 घंटों में वैक्सीन पहुंचाने का काम किया. मालदीव ने भारत से 20 जनवरी 2021 को पहली लाख कोविड वैक्सीन की खुराक को प्राप्त किया, और इसके बाद अपने टीकाकरण अभियान में सक्रिय रूप से भाग लिया. भारत ने 20 फरवरी 2021 को मालदीव को एक लाख वैक्सीन की अतिरिक्त खुराक भेजी, जिससे दुनिया में एक और टीकाकरण मील का पत्थर रखा गया.

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