• Fri. Nov 22nd, 2024

    साईबाबा को बरी करने के आदेश पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

    साईबाबा

    माओवादी साईबाबा संबंधित मामले में महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। लेकिन कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया। इस बारे में यह भी जान लेना महत्वपूर्ण है कि हाईकोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा को बरी कर दिया था।

    Read also:Supreme Court Rejects SBI’s Plea, Orders Bond Disclosure ASAP

    सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की याचिका की खारिज

    सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को रोकने की मांग की गई थी। इस आदेश में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा और अन्यों को माओवादी संबंध मामले में बरी किया गया था।

    पांच मार्च को बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने 54 वर्षीय साई बाबा और अन्य को बरी कर दिया, जिससे स्पष्ट हुआ कि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ मामले को उचित संदेह से परे साबित करने में विफल रहा। हाईकोर्ट ने साईबाबा को आजीवन कारावास की सजा को रद्द कर दिया और मामले में पांच अन्य आरोपियों को भी बरी कर दिया था।

    Read also:पाकिस्तान प्रेसिडेंट जरदारी बेटी आसिफा भुट्टो को बनाएंगे फर्स्ट लेडी

    अभियोजन पक्ष ने अपराधी के खिलाफ अनुचित साक्ष्य देने में विफल

    हाईकोर्ट ने यह दावा किया था कि अभियोजन पक्ष अपराधी के खिलाफ किसी भी कानूनी जब्ती या किसी भी अनुचित सामग्री को स्थापित करने में विफल रहा है। जीएन साईबाबा 2014 में अपने आरोप में गिरफ्तार किए गए थे और उन्हें नागपुर के केंद्रीय जेल में बंद किया गया था। मार्च 2017 में महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले की एक सत्रीय अदालत ने जीएन साईबाबा और एक जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र को समेत पांच अन्य व्यक्तियों को सीपीआई (माओवादी) के साथ संबंध और देश के खिलाफ गतिविधियों में शामिल होने का दोषी ठहराया था। ट्रायल कोर्ट ने साईबाबा और अन्यों को यूएपीए और कई प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया था।

    Read also:लोकसभा चुनाव: उद्धव ठाकरे ने अमोल कीर्तिकर को चुना उम्मीदवार

    Share With Your Friends If you Loved it!