महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को बंबई उच्च न्यायालय को बताया कि उसने जम्मू कश्मीर में चार साल पहले ड्यूटी के दौरान सर्वोच्च बलिदान देने वाले सेना के एक मेजर के परिवार को वित्तीय लाभ देने का फैसला किया है। उच्च न्यायालय ने मेजर अनुज सूद की विधवा आकृति सूद के 2019 और 2020 के दो सरकारी प्रस्तावों के तहत पूर्व सैनिकों के लिए लाभ (मौद्रिक) की मांग को मंजूरी दी। अनुज सूद ने 2 मई, 2020 को अपनी जान गंवा दी थी, वे आतंकवादी ठिकानों से बंधक बनाए गए नागरिक को बचा रहे थे। उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था।
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महाराष्ट्र न्यायालय की निर्देश: वित्तीय सहायता के लिए सरकार को फैसला करने का निर्देश
राज्य सरकार ने पूर्व में कहा था कि सूद का परिवार लाभ और भत्ते का पात्र नहीं है क्योंकि यह प्रस्ताव केवल उन लोगों के लिए है जो महाराष्ट्र में पैदा हुए हैं या जो लगातार 15 साल या उससे अधिक समय तक महाराष्ट्र में रहे। न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी और न्यायमूर्ति फिरदोश पूनीवाला की खंडपीठ ने इससे पहले सरकार को निर्देश दिया था कि वह सूद के मामले को विशेष और असाधारण मामले के तौर पर देखे और शहीद के परिवार को वित्तीय सहायता देने पर फैसला करे। अदालत ने कहा था कि अगर सरकार ऐसा नहीं कर सकती है तो अदालत उचित आदेश पारित करेगी।
महाधिवक्ता की संवाद: हाईकोर्ट के फैसले की सराहना
महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने बुधवार को हाईकोर्ट की पीठ को बताया कि सरकार ने विशेष मामले के तौर पर सूद के परिवार को लाभ देने का फैसला किया है। सरकार ने एक करोड़ रुपये (आकृति को 60 लाख रुपये और सूद के पिता को 40 लाख रुपये) और आकृति को 9,000 रुपये मासिक भुगतान करने का फैसला किया है। पीठ ने सरकार के फैसले की सराहना की और कहा कि उन्होंने कठिन परिस्थिति का सम्मान किया है।
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