रेलवे के अधिकारियों ने जांच के बाद खुलासा किया कि इस हादसे की वजह रेलवे के इंजीनियरिंग अनुभाग की लापरवाही थी। इस हादसे की जांच में पाया गया कि रेल पटरी की फास्टनिंग सही नहीं थी, जिसकी वजह से गर्मी में पटरी ढीली हो गई थी। बकलिंग के कारण ट्रेन पटरी से उतरी थी। हादसा 18 जुलाई को दोपहर 2:28 बजे हुआ, जब डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस की स्पीड 100 किलोमीटर प्रति घंटा थी।
18 जुलाई को उत्तर प्रदेश के गोंडा में हुए भीषण रेल हादसे को लेकर कई सारी बातें सामने आ रही हैं। हादसे में चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के लगभग 14 डिब्बे पटरी से उतर गए। इस हादसे में रेलवे ने पुष्टि की कि दो लोगों की मौत हुई है। अब सभी के मन में यह सवाल है कि इस हादसे का जिम्मेदार कौन है।.
जांच में जुटे अधिकारियों ने बताया कि इस हादसे के लिए रेलवे का इंजीनियरिंग सेक्शन जिम्मेदार है। जांच में सामने आया कि रेल पटरी की फास्टनिंग सही नहीं थी, जिसके कारण गर्मी में पटरी ढीली हो गई और यह बड़ा रेल हादसा हो गया।.
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रेलवे इंजीनियरिंग की लापरवाही से हुआ गोंडा ट्रेन हादसा
रेलवे के अधिकारियों ने जांच के बाद खुलासा किया कि इस हादसे की वजह रेलवे के इंजीनियरिंग अनुभाग की लापरवाही थी। जांच में पाया गया कि रेल पटरी की फास्टनिंग सही नहीं थी, जिसकी वजह से गर्मी में पटरी ढीली हो गई थी। बकलिंग के कारण ट्रेन 18 जुलाई को दोपहर 2:28 बजे पटरी से उतरी। हादसे के वक्त डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस ट्रेन की स्पीड 100 किलोमीटर प्रति घंटा थी। 70 किलोमीटर की रफ्तार पर बकलिंग के कारण ट्रेन पटरी से उतर गई। ट्रेन के 16 डिब्बे पटरी से उतर गए और तीन एसी डिब्बे ट्रैक पर पलट गए। इस हादसे में 4 लोगों की मौत हो गई और 30 से ज्यादा लोग घायल हो गए। कीमैन ने पहले ही ट्रैक में खराबी की जानकारी दी थी।
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