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    गुजरात: उत्तर पश्चिम की बजाय पश्चिम की ओर भटकी हवाओं ने मचाई तबाही

    Gujarat flood

    गुजरात में जिस तरह से लगातार जल प्रलय मची हुई है, वह मौसम वैज्ञानिकों के लिए अत्यंत आश्चर्यजनक घटना है। दरअसल, जिस लो प्रेशर एरिया की हवाओं को उत्तर पश्चिम की ओर बहना था, वे अपनी दिशा बदलकर अन्य दिशाओं में चली गईं। मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि पिछले कुछ वर्षों में मौसम के बदलते रुझानों से यह संकेत मिलता है कि ऐसी ही परिस्थितियां भविष्य में भी बनी रह सकती हैं। इन बदली हुई परिस्थितियों में रेगिस्तानी क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जबकि गंगा के मैदानी क्षेत्रों में बारिश सामान्य से कम हो सकती है, विशेषकर कुछ विशिष्ट स्पेल में।

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    गुजरात में बारिश से तबाही

    मौसम विभाग के वैज्ञानिकों ने फिलहाल सितंबर के पहले सप्ताह तक देश के विभिन्न हिस्सों, विशेषकर उत्तर पश्चिम, मध्य और पूर्वोत्तर के राज्यों में भारी बारिश की संभावना जताई है। वहीं, मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि मानसून के सबसे अधिक बादल अगस्त के अंतिम सप्ताह में ही बरसने की उम्मीद थी। गुजरात में बारिश से होने वाली तबाही की असली वजह बदलता हुआ मौसम और जलवायु परिवर्तन ही है। वहीं, मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि मानसून के सबसे ज्यादा बादल अगस्त के आखिरी महीने में ही बरसाने का अनुमान लगाया गया था।

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    बदलते मौसम और जलवायु परिवर्तन के संकेत

    गुजरात में बारिश के तबाही मचाने की असली वजह बदलता हुआ मौसम और जलवायु परिवर्तन ही है। दिल्ली विश्वविद्यालय में एनवायरमेंटल स्टडीज एंड क्लाइमेट चेंज के प्रोफेसर अनुराग सिंह कहते हैं कि जिस तरीके से गुजरात में बारिश हुई है वह स्पष्ट रूप से संकेत देता है कि बने हुए लो प्रेशर एरिया की दिशाएं भटक गई हैं। वह बताते हैं कि बंगाल की खाड़ी में बनने वाले लो प्रेशर एरिया और उसके बाद चलने वाली हवाओं से सबसे ज्यादा प्रभावित एरिया उत्तर और पश्चिम का हिस्सा ही था। लेकिन बीच में भटकी हुई हवाएं आसपास के इलाकों में बारिश करती हैं। जिस तरीके से सिर्फ गुजरात में ही बादलों ने तबाही मचाई उससे स्पष्ट होता है कि चलने वाली हवाओं ने अपना रास्ता बदल दिया। वह उत्तर पश्चिम की वजह है सीधे पश्चिम इलाके की ओर बहने लगी।

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