आठ दिन पहले श्रृंगवेरपुर के गऊघाट आश्रम मंदिर से चोरी हुई राधा-कृष्ण की अष्टधातु की मूर्ति नाटकीय तरीके से बरामद हुई। चोर ने मूर्ति को हाईवे के सर्विस मार्ग के किनारे रख दिया और माफीनामा छोड़ गया। माफीनामे में उसने लिखा कि जब से उसने भगवान की मूर्ति चुराई है, तब से उसके बेटे की तबीयत खराब हो गई है और बुरे सपने आ रहे हैं। इसके बाद उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने मूर्ति वापस करने का निर्णय लिया।
पुलिस को सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और मूर्ति के पास से चोर का माफीनामा बरामद किया। पत्र में चोर ने अपनी अज्ञानता के लिए माफी मांगते हुए लिखा कि उसने मूर्ति को बेचने की कोशिश में उसके साथ छेड़छाड़ भी की है, लेकिन अब वह अपनी गलती को समझ चुका है।
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पुलिस ने मूर्ति को आश्रम संचालक फलाहारी महंत स्वामी जयराम दास महाराज को सौंप दिया। महंत ने मूर्ति का पूजन-अर्चन कराकर और गंगा जल से स्नान कराने के बाद उसे फिर से मंदिर में स्थापित कर दिया।
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