पश्चिम एशिया में 14 महीने से कई मोर्चों पर जारी लड़ाई के बीच, शांति की पहल के तहत इस्राइल और हिज़बुल्ला ने शुरुआती दो महीनों के लिए युद्ध विराम कर लिया है। यह समझौता लेबनान और इस्राइल के लाखों लोगों के लिए राहत लेकर आया है, जो करीब एक साल से अपने घरों से दूर थे। युद्ध विराम लागू होते ही दोनों देशों के हजारों लोग अपने घर लौटने लगे हैं। युद्ध शुरू होने के बाद से यह पश्चिम एशिया में प्रगति का पहला बड़ा संकेत है। हिज़बुल्ला के युद्ध विराम के बाद अब दुनिया की नजरें गाजा संघर्ष पर टिकी हुई हैं।
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इस्राइल और हिज़बुल्ला : युद्ध विराम का हमास पर क्या प्रभाव पड़ सकता है
समझौते से पहले, प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने रविवार को सुरक्षा संबंधी एक बैठक की थी। बैठक में नेतन्याहू ने कहा कि इस युद्ध विराम से हमास गाजा में अलग-थलग पड़ जाएगा और बंधकों को लेकर समझौते की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। दूसरी ओर, हिज़बुल्ला ने पहले यह शर्त रखी थी कि गाजा में युद्ध समाप्त होने तक वह संघर्ष विराम को स्वीकार नहीं करेगा, लेकिन अंततः उसने अपनी यह शर्त छोड़ दी। न्यूज एजेंसी एपी के मुताबिक, विश्लेषकों का मानना है कि दोनों के बीच हुए इस युद्ध विराम से क्षेत्र में तनाव कम होने की संभावना है।
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संघर्ष विराम पर हमास का रुख क्या है
7 अक्तूबर 2023 के हमले के एक दिन बाद हिजबुल्ला ने हमास के समर्थन में गोलीबारी शुरू कर दी थी। तब से दोनों पक्षों के बीच लगभग रोजाना गोलीबारी होती रही है। अब जब दोनों ने समझौता कर लिया है तो हमास को अकेले ही लड़ना पड़ेगा। फलस्तीनी समूह की क्षमताएं पहले से हमले से बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं और उसके प्रमुख लोग मारे जा चुके हैं। फलस्तीनी विश्लेषक खलील सईघ ने न्यूज एजेंसी एपी से कहा कि युद्ध विराम से गाजा में हमास की लोकप्रियता और भी कम हो सकती है।
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