डायबिटीज यानी मधुमेह एक ऐसी बीमारी है जिसका वर्तमान में कोई स्थायी इलाज नहीं है, इसे केवल नियंत्रित किया जा सकता है। भारत में युवाओं में शुगर की बीमारी तेजी से फैल रही है, जिसे ध्यान में रखते हुए पहला बायोबैंक स्थापित किया गया है।
भारत में डायबिटीज के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। पहले यह बीमारी उम्रदराज लोगों में अधिक पाई जाती थी, लेकिन अब युवा भी इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं।
बदलती जीवनशैली और खानपान की आदतों के कारण युवाओं में डायबिटीज का खतरा बढ़ रहा है।
Also Read: भूटान में डोकलाम के पास बसाए चीन ने 22 गांव, बढ़ाई भारत की टेंशन
इस समस्या को देखते हुए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन (MDRF) ने मिलकर भारत का पहला डायबिटीज बायोबैंक स्थापित किया है, जो चेन्नई में स्थित है।
इस बायोबैंक का उद्देश्य डायबिटीज पर अधिक शोध करना और इस बीमारी का प्रभावी इलाज ढूंढना है। आइए जानते हैं कि इस बायोबैंक से क्या लाभ होगा।
डायबिटीज बायोबैंक के निर्माण से क्या लाभ होगा?
इस बायोबैंक का उद्देश्य मधुमेह के कारणों को समझकर हाई-टेक रिसर्च से इलाज ढूंढना है, जिससे उपचार सरल हो सके।
डॉ. वी. मोहन के अनुसार, बायोबैंक शुरुआती चरणों की पहचान और इलाज को बेहतर बनाने के लिए नए बायोमार्कर्स की पहचान करेगा।
इसके माध्यम से भविष्य में रिसर्च के लिए आवश्यक डेटा भी प्राप्त किया जा सकेगा।
Also Read: पंजाब में किसानों का रेल रोको आंदोलन
[…] Also Read : भारत का पहला डायबिटीज बायोबैंक: शुगर न… […]