घरेलू शेयर बाजारों में महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि हुई है। आंकड़ों के मुताबिक, हर चार नए निवेशकों में से करीब एक महिला निवेशक है। भारतीय स्टेट बैंक की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। रिपोर्ट के अनुसार, 2021 से हर साल लगभग 3 करोड़ नए डीमैट खाते खोले गए हैं। इसमें बताया गया है कि इन नए खाताधारकों में से औसतन हर चार में से एक महिला है।
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शेयर बाजार : बिहार, यूपी और ओडिशा जैसे राज्यों में महिला निवेशकों की भागीदारी 20% से कम
इसके विपरीत, बिहार (15.4 प्रतिशत), उत्तर प्रदेश (18.2 प्रतिशत) और ओडिशा (19.4 प्रतिशत) जैसे राज्यों में महिलाओं की भागीदारी 20 प्रतिशत से कम है, जो क्षेत्रीय स्तर पर लैंगिक समावेशन में असमानता को उजागर करती है। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि कुछ अपवादों को छोड़कर, अधिकांश राज्यों में वित्त वर्ष 2022 की तुलना में वित्त वर्ष 2025 तक महिलाओं की भागीदारी दर में राष्ट्रीय औसत से अधिक वृद्धि दर्ज की गई है। यह प्रगति, हालांकि क्षेत्रों के आधार पर अलग-अलग है, लेकिन वित्तीय बाजारों में अधिक लैंगिक समावेशन की दिशा में एक सकारात्मक संकेत देती है।
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रिपोर्ट में दावा- बचत करने के तरीके में आया बदलाव
एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में भारतीय परिवारों के बचत पैटर्न में भी महत्वपूर्ण बदलाव आया है। रिपोर्ट के अनुसार पारंपरिक बैंक जमा से म्यूचुअल फंड और जीवन बीमा की ओर धन का प्रवाह बढ़ रहा है। रिपोर्ट में बताया गया है कि बैंक जमा में घरेलू बचत का हिस्सा, जो 2021 में 47.6 प्रतिशत था, 2023 में घटकर 45.2 प्रतिशत रह गया। इस बीच, जीवन बीमा फंड में घरेलू निवेश में वृद्धि देखी गई है। यह 2021के 20.8 प्रतिशत से बढ़कर 2023 में 21.5 प्रतिशत हो गया। घरेलू बचत में म्यूचुअल फंड की हिस्सेदारी भी बढ़ी है, जो 2021 में 7.6 प्रतिशत से बढ़कर इस अवधि में 8.4 प्रतिशत हो गई।
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