प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने गुरुवार को न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई. न्यायमूर्ति चंद्रन के शपथ लेने के बाद सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की संख्या 33 हो गई है, जो स्वीकृत संख्या 34 से एक कम है. इसमें मुख्य न्यायाधीश भी शामिल हैं.
सप्ताह की शुरुआत में, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. इस प्रस्ताव में न्यायमूर्ति चंद्रन को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की गई थी.
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7 जनवरी को देश के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति चंद्रन को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत करने की सिफारिश की. एक सप्ताह के भीतर केंद्र सरकार ने न्यायमूर्ति चंद्रन को सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत करने को मंजूरी दे दी.
सीजेआई की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम में चार वरिष्ठतम न्यायाधीश भी शामिल हैं. एक बयान में कहा गया है कि 7 जनवरी, 2025 को हुई अपनी बैठक में कॉलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के लिए पात्र हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों और वरिष्ठ अवर न्यायाधीशों के नामों पर विचार-विमर्श किया. कॉलेजियम ने सर्वसम्मति से न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की. कॉलेजियम में न्यायमूर्ति बी आर गवई, सूर्यकांत, ऋषिकेश रॉय और अभय एस ओका भी शामिल थे.
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न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन: 11 वर्षों का न्यायिक अनुभव
न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन को 8 नवंबर 2011 को केरल हाईकोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था और 29 मार्च 2023 को उन्हें पटना हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था. तब से वे पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य कर रहे थे. वे 11 साल से अधिक समय तक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश और एक साल से अधिक समय तक एक बड़े उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य कर चुके हैं.
कॉलेजियम ने कहा कि हाईकोर्ट के न्यायाधीश और मुख्य न्यायाधीश के रूप में अपने लंबे कार्यकाल के दौरान न्यायमूर्ति चंद्रन ने कानून के विविध क्षेत्रों में महत्वपूर्ण अनुभव प्राप्त किया है और वह हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की संयुक्त अखिल भारतीय वरिष्ठता में 13वें स्थान पर हैं.
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