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    झारखंड HC ने दुबे-तिवारी के खिलाफ प्राथमिकी रद्द का आदेश बरकरार रखा

    सुप्रीम कोर्ट - फोटो

    सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी के
    खिलाफ प्राथमिकी रद्द करने के झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ राज्य की याचिका खारिज कर दी।
    एफआईआर 2022 में हवाई अड्डे से उड़ान भरने के दौरान विमानन नियमों के उल्लंघन के मामले में दर्ज की गई थी।

    निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी पर विमानन नियमों के उल्लंघन का आरोप

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    समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के सांसद निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी। इन पर 2022 में सूर्यास्त के बाद देवघर हवाई अड्डे से अपने विमान को उड़ान भरने की अनुमति देने के लिए हवाई यातायात नियंत्रण पर दबाव डालने का आरोप है।

    न्यायमूर्ति एएस ओका और जस्टिस मनमोहन की पीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह जांच के दौरान एकत्रित सामग्री को चार सप्ताह के भीतर विमानन अधिनियम के तहत अधिकृत अधिकारी को भेजे। पीठ ने यह भी कहा कि नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) का सक्षम प्राधिकारी कानून के तहत यह निर्णय लेगा कि शिकायत दर्ज करने की आवश्यकता है या नहीं।

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    18 दिसंबर को निर्णय को स्थगित कर दिया गया था

    सुप्रीम कोर्ट ने 18 दिसंबर को झारखंड उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार की अपील पर अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था। यह मामला झारखंड के देवघर जिले के कुंडा थाना में दुबे और तिवारी समेत नौ लोगों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी से जुड़ा है। सांसदों पर आरोप है कि उन्होंने 31 अगस्त, 2022 को देवघर हवाई अड्डे पर सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते हुए एटीसी कर्मचारियों पर निर्धारित समय के बाद अपने निजी विमान को उड़ान भरने की अनुमति देने के लिए दबाव डाला था।

    झारखंड सरकार की एक याचिका पर लिया गया निर्णय

    सुप्रीम कोर्ट का निर्णय झारखंड सरकार की एक याचिका पर आधारित है, जिसमें 13 मार्च, 2023 के उच्च न्यायालय के
    फैसले को चुनौती दी गई थी। उच्च न्यायालय ने यह कहते हुए प्राथमिकी रद्द कर दी थी कि विमानन(संशोधन)
    अधिनियम, 2020 के तहत प्राथमिकी दर्ज करने से पहले लोकसभा सचिवालय से कोई पूर्व अनुमति नहीं ली गई थी।

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