गुवाहाटी: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने गुवाहाटी के साउथ प्वाइंट स्कूल परिसर, बरशापारा में आयोजित एक बौद्धिक कार्यक्रम में हिंदू एकता और समाज परिवर्तन के लिए पांच महत्वपूर्ण बदलावों पर जोर दिया, जिसमें लगभग हजार दायित्वधारी कार्यकर्ता शामिल हुए। उन्होंने सामाजिक समरसता और हिंदू एकता बढ़ाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि हालांकि हम सभी हिंदुओं को एक मानते हैं, लेकिन समाज में जाति, पंथ और भाषा के आधार पर भेदभाव मौजूद है, जिसे खत्म करने के लिए प्रयास आवश्यक हैं।
Also Read : तेलंगाना टनल हादसा: बचाव में पानी-कीचड़ बाधा, मंत्री बोले- स्थिति गंभीर
हिंदू समाज के लिए हिंदू एकता का मार्ग
सरसंघचालक ने हिंदू समाज में विभिन्न जातियों, क्षेत्रों, और भाषाओं के बीच मित्रता और सहयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया।
परिवार और भारतीय मूल्यों का महत्व
डॉ. भागवत ने भारतीय पारिवारिक मूल्यों को समाज में प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि यदि परिवारों में भारतीय परंपराओं को संरक्षित किया जाए, तो समाज सही दिशा में आगे बढ़ेगा। इसके साथ ही, उन्होंने हिंदू मंदिरों, जलाशयों और श्मशान भूमि के सामूहिक उपयोग को बढ़ावा देने की भी बात कही।
हिंदू एकता, पर्यावरण संरक्षण और स्वदेशी अपनाना
कार्यक्रम के दौरान मोहन भागवत ने पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने जल संरक्षण, पॉलिथीन के उपयोग में कमी और वृक्षारोपण को प्राथमिकता देने की सलाह दी। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि प्रत्येक भारतीय परिवार को अपनी भाषा, पहनावे, भोजन, आवास और यात्रा में स्वदेशी उत्पादों को अपनाना चाहिए, जिससे भारतीय संस्कृति और परंपराओं को सशक्त बनाया जा सके।
Also Read : चैंपियंस ट्रॉफ़ी : भारत ने पाकिस्तान को 6 विकेट से हराया
नागरिक कर्तव्यों का पालन
अपने भाषण के समापन पर डॉ. मोहन भागवत ने नागरिक कर्तव्यों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने सभी नागरिकों से आग्रह किया कि वे सरकारी नियमों और कानूनों के साथ-साथ पारंपरिक सामाजिक नैतिक मूल्यों का भी पालन करें। उन्होंने कहा, “समाज की भलाई के लिए अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना हमारी जिम्मेदारी है।”
[…] Also Read: “हम सभी हिंदुओं को एक मानते हैं, ले… […]