• Tue. Apr 1st, 2025
    MRI machine

    भारत ने अपना पहला स्वदेशी एमआरआई मशीन विकसित किया है. एम्स-दिल्ली ने जानकारी दी है कि इस साल अक्टूबर तक देश में निर्मित एमआरआई स्कैनर को क्लीनिकल ट्रायल के लिए स्थापित किया जाएगा. इस पहल का उद्देश्य एमआरआई स्कैनिंग की लागत को कम करना और विदेश से आयातित मशीनों पर निर्भरता को घटाना है. साथ ही, आम जनता के लिए एमआरआई सेवाओं को अधिक सुलभ बनाना भी इसका मुख्य लक्ष्य है.

    बता दें कि इसे इलेक्ट्रॉनिक्स और इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय के तहत सोसाइटी फॉर एप्लाइड माइक्रोवेव इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग एंड रिसर्च (SAMEER) के साथ साझेदारी में चलाया जाएगा.

    SAMEER के महानिदेशक पीएच राव ने कहा कि संगठन क्लिनिकल एंड ह्यूमन ट्रायल्स के लिए अनुमति का इंतजार कर रहा है क्योंकि देश में वर्तमान में ऐसा कोई तंत्र नहीं है जहां मशीन को देश के मानकों के लिए मान्य किया जा सके. नई दिल्ली के एम्स के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 1.5 टेस्ला एमआरआई मशीन अगले सात महीनों में या इस साल अक्टूबर तक स्थापित होने की उम्मीद है. यह तब हुआ है जब केंद्र सरकार चिकित्सा उपकरणों में आयात निर्भरता को कम करने के लिए स्वदेशी नवाचारों पर जोर दे रही है.

    वर्तमान में, भारत की लगभग 80 से 85 प्रतिशत चिकित्सा उपकरण आवश्यकताएं आयात के माध्यम से पूरी की जाती हैं. वित्त वर्ष 2023-24 (FY24) में, देश का चिकित्सा उपकरण आयात बिल ₹68,885 करोड़ तक पहुंच गया था, जो कि FY23 में ₹61,179 करोड़ से 13 प्रतिशत अधिक है.

    MRI मशीनें विकसित करने का दावा

    एम्स के एक अधिकारी ने कहा, साझेदारी का उद्देश्य उपचार लागत और आयातित चिकित्सा उपकरणों पर निर्भरता को कम करना है. जबकि मुंबई में केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) का शोध निकाय आने वाले महीनों में परीक्षण करेगा, चेन्नई स्थित फिशर मेडिकल वेंचर्स और बेंगलुरु स्थित वॉक्सेलग्रिड्स इनोवेशन जैसी कई कंपनियों ने पहले ही भारत में निर्मित MRI मशीनें विकसित करने का दावा किया है.

    MeitY के तहत काम करने वाले एक स्वायत्त अनुसंधान और विकास संगठन, सोसाइटी फॉर एप्लाइड माइक्रोवेव इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग एंड रिसर्च (SAMEER) और प्रमुख अस्पताल के बीच 1.5 टेस्ला एमआरआई स्कैनर की स्थापना के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए हैं.

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