उत्तराखंड के चमोली जिले में जोशीमठ-मलारी मार्ग पर चार दिन पहले कार के अंदर जली हुई अवस्था में मृत मिली महिला के भाई का शव भी तपोवन के समीप एक खाई से गुरुवार को बरामद किया गया। पुलिस ने बताया कि आर्थिक तंगी से परेशान यह मामला अब और भी गंभीर होता दिख रहा है। 6 अप्रैल को श्वेता पदमा सेनापति नामक एक महिला का शव तपोवन के समीप चाचड़ी गांव के पास जली कार के अंदर से मिला था लेकिन उसके साथ घूम रहा उसका भाई सुनील सेनापति लापता था। श्वान दस्ते की मदद से जली हुई कार से लगभग 400 मीटर दूर खाई में सुनील का शव मिला जिसे भारत तिब्बत सीमा पुलिस और राज्य आपदा प्रतिवादन बल की सहायता से बाहर निकाला गया।
क्या है पूरा मामला?
मिली जानकारी के अनुसार, पुलिस को 6 अप्रैल को एक जली हुई कार के अंदर एक शव दिखायी देने की सूचना मिली थी। चालक के बगल वाली सीट पर मिले शव के पास से कुछ गहने भी मिले थे जिससे माना गया कि यह शव महिला का है। कार के पास से कर्नाटक के रजिस्ट्रेशन वाली एक नम्बर प्लेट भी मिली थी जिसके आधार पर महिला की शिनाख्त श्वेता पदमा सेनापति के रूप में हुई। यह भी जानकारी मिली कि उसके साथ उसका भाई भी था। कार के जली हुई अवस्था में मिलने से पहले जोशीमठ तथा तपोवन के लोगों ने दोनों को कार से घूमते हुए भी देखा था। पांच अप्रैल की शाम को वे दोनों भविष्य बद्री मन्दिर भी गए थे।
रिश्तेदारों से कहते थे- खराब है स्थिति, हम आत्महत्या भी कर सकते हैं
पुलिस जांच के दौरान, इनके बेंगलुरु के होने का पता चला जिसके बाद एक टीम बेंगलुरु भेजकर उनके रिश्तेदारों से पूछताछ की गई। उनके रिश्तेदारों ने बताया कि दोनो भाई-बहन आर्थिक रूप से कंगाल थे और अक्सर किसी न किसी से पैसे उंधार मांगते रहते थे। वे लोगों से फोन पर कहते थे कि हमारी स्थिति खराब है और हम आत्महत्या भी कर सकते हैं इसलिए हमारी मदद करो।
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असफलता के चलते नास्तिक हो गया था सुनील
जो कहानी भाई बहन की मौत पर सामने आई है। वह पग-पग पर असफलता व जीने की उम्मीद और फिर आत्महत्या के फैसले पर खत्म हुई है। ज्योतिर्मठ के ढाक गांव में पांगर बासा होम स्टे में रहने के दौरान भाई-बहन ने 11 अप्रैल को होम स्टे छोड़ने की बात होम स्टे मालिक को कही थी। ये दोनों आर्थिक संकट के ऐसे दौर से गुजर रहे थे कि उन्होंने कुछ समय पहले एक मोबाइल और जेवर भी बेचे थे। बातचीत के दौरान भी स्थानीय लोगों से उन्होंने आथिर्क तंगी की बात कही थी। सुनील कुमार सेनापति असफलता के चलते लंबे समय से नास्तिक हो गया था। वह मंदिरों में भी नहीं जाता था वह पूजा पाठ में भी शामिल नहीं होता था। जबकि उसकी बहिन धार्मिक प्रवत्ति पर विश्वास रखती थी।
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दोनों भाई-बहनों ने जगह-जगह किया बिजनेस
श्वेता सेनापति और सुनील सेनापति ओडिशा के रायगढ़ के रहने वाले थे। ये दोनों करीब 15-16 साल पहले विशाखापट्टनम शिफ्ट हुए थे। विशाखापट्टनम में दोनों बिजनेस करते थे, लेकिन बिजनेस में भारी नुकसान होने की वजह से उनकी पारिवारिक स्थिति लगातार बिगड़ती चली गई। इसके बाद वे बेंगलुरु गए। मां-बाप की मौत के बाद तो सेनापति परिवार का और भी बुरा हाल होने लगा। अपनी आर्थिक स्थिति को ठीक करने के लिए दोनों भाई-बहनों ने जगह-जगह बिजनेस किया, लेकिन बिजनेस में उन्हें कहीं भी सफलता नहीं मिली। वहीं, कोरोनाकाल में उनके भाई संतोष सेनापति की भी मौत हो गई। इसके बाद श्वेता और सुनील की आर्थिक स्थिति काफी खराब होने लगी।
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लोगों से पैसे मांग कर करते थे भरण पोषण
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि श्वेता और सुनील लंबे समय से आर्थिक तंगी से परेशान थे। दोनों जहां भी रहते, लोगों से पैसे मांग कर अपना भरण पोषण करते थे। हरिद्वार में भी उन्होंने साड़ी की दुकान खोली थी, लेकिन वहां भी घाटा हुआ। दोनों भाई बहन के पास मकान का किराया देने तक के पैसे नहीं रहे। जिसके बाद वो कुछ महीने पहले ही ज्योतिर्मठ के सुभाई क्षेत्र में रहने के लिए आए, लेकिन दोनों के पास पैसा न होने की वजह काफी परेशान चल रहे थे। जिस वजह से दोनों ने आत्महत्या कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली।
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