भारत की शिक्षा पद्धति में बदलावों की दिशा में पीएम मोदी ने एक अहम टिप्पणी की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, ब्रिटिश सरकार ने आजादी से पहले अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए ‘सेवक वर्ग’ बनाने के लिए शिक्षा प्रणाली दी, इसमें अब भी बदलाव करने की जरूरत है.
अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन पर आयोजित एक सम्मेलन में पीएम मोदी ने कहा कि, ”पहले पढ़ाई की ऐसी व्यवस्था बनाई गई थी जिसमें शिक्षा का मकसद केवल और केवल नौकरी पाना ही था. अंग्रेजों ने अपनी जरूरतों को पूरा करने और अपने लिए एक सेवक वर्ग तैयार करने के लिए वह शिक्षा व्यवस्था दी थी.’’
उन्होंने कहा, ‘‘आजादी के बाद इसमें थोड़े बहुत बदलाव हुए थे, लेकिन बहुत सारा बदलाव रह गया. अंग्रेजों की बनाई हुई व्यवस्था कभी भी भारत के मूल स्वभाव का हिस्सा नहीं थी और न हो सकती है.”
प्रधानमंत्री ने कहा, ”हमारे देश में शिक्षा में अलग-अलग कलाओं की धारणा थी. बनारस ज्ञान का केंद्र केवल इसलिए नहीं था कि यहां अच्छे गुरुकुल और शिक्षण संस्थान थे बल्कि इसलिए था क्योंकि यहां ज्ञान और शिक्षा बहुआयामी थी. शिक्षा की यही व्यवस्था हमारी प्रेरणास्रोत होनी चाहिए.’’
हम केवल डिग्री धारक युवा तैयार न करें- पीएम मोदी
उन्होंने कहा, ‘‘ हम केवल डिग्री धारक युवा तैयार न करें बल्कि देश को आगे बढ़ने के लिए जितने भी मानव संसाधनों की जरूरत है, वह हमारी शिक्षा व्यवस्था हमारे देश को उपलब्ध कराएं. इस संकल्प का नेतृत्व हमारे शिक्षक और शिक्षण संस्थानों को करना है.”
प्रधानमंत्री ने शिक्षा में आधुनिकता के साथ कदमताल की जरूरत पर जोर देते हुए कहा ”हमें यह पता होना चाहिए कि दुनिया आगे किस तरफ जा रही है, कैसे जा रही है और उसमें हमारा देश और हमारे युवा कहां हैं। आने वाले 15-20 सालों में भारत उन बच्चों के हाथों में होगा जिन्हें हमें तैयार करना है. यह हमारा बहुत बड़ा दायित्व है. इसी ट्रैक पर हमारे शिक्षण संस्थानों को भी खुद से पूछने की जरूरत है कि क्या हम भविष्य के लिए तैयार हैं?”