अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय ने बीते साल कैंपस में फ़लस्तीन के समर्थन में हुए प्रदर्शनों में भाग लेने वाले छात्रों के ख़िलाफ़ कार्रवाई शुरू की है. इसके बाद भारतीय छात्रा रंजनी श्रीनिवासन ने अमेरिका छोड़ दिया है.कैंपस में बीते साल हैमिल्टन हॉल पर क़ब्ज़ा करने के अभियान में शामिल रहे कुछ छात्रों को विश्वविद्यालय ने या तो निलंबित कर दिया है या उन्हें निकाल दिया है.
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ट्रंप प्रशासन ने कोलंबिया विश्वविद्यालय की 40 करोड़ डॉलर की फ़ंडिंग ये कहते हुए रोक दी है कि वो कैंपस में यहूदी विरोधी भावना से लड़ने में नाकाम रहा है.विश्वविद्यालय प्रशासन की ये कार्रवाई तब शुरू हुई है, जब कोलंबिया विश्वविद्यालय के कैंपस के कार्यकर्ता महमूद ख़लील को गिरफ़्तार किया गया है. ख़लील को हाल ही में संघीय अप्रवासन प्राधिकरणों ने हिरासत में लिया था.
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विश्वविद्यालय प्रशासन का कड़ा रुख
गुरुवार को विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक बयान जारी कर कहा था कि यूनिवर्सिटी के ज्यूडिशियल बोर्ड (यूजेबी) ने छात्रों के ख़िलाफ़ प्रतिबंध लगाए हैं.इनमें ‘कई सालों तक निलंबन से लेकर, अस्थाई तौर पर डिग्री रद्द करना और निष्कासन’ शामिल है.
अमेरिका में बीबीसी के न्यूज़ पार्टनर सीबीएस ने बताया है कि विश्वविद्यालय की ओर से भेजा गया ईमेल इशारा करता है कि विश्वविद्यालय ने दर्जनों छात्रों के ख़िलाफ़ प्रतिबंध लगाए हैं.विश्वविद्यालय के बयान में कहा गया है, “निलंबित छात्रों की वापसी के मुद्दे को कोलंबिया विश्वविद्यालय के लाइफ़ ऑफ़िस को देखना होगा. कोलंबिया विश्वविद्यालय नियमों और नीतियों और हमारी अनुशासनात्मक प्रक्रियाओं में सुधार के लिए प्रतिबद्ध है.”
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भारतीय नागरिक रंजनी श्रीनिवासन कोलंबिया विश्वविद्यालय में अर्बन प्लानिंग में पीएचडी कर रही थीं.कैंपस में फ़लस्तीन के समर्थन में हुए प्रदर्शनों और हमास का समर्थन करने को लेकर कथित तौर पर उनका वीज़ा रद्द कर दिया गया था.रंजनी के अमेरिका छोड़ देने की पुष्टि डिपार्टमेंट ऑफ़ होमलैंड सिक्योरिटी ने भी की है. इस डिपार्टमेंट की मंत्री क्रिस्टी नोएम ने इसकी पुष्टि की है.
क्रिस्टी नोएम ने रंजनी के सूटकेस लेकर निकलते हुए एक वीडियो क्लिप को एक्स पर पोस्ट किया है.उन्होंने लिखा, “संयुक्त राज्य अमेरिका में रहने और पढ़ाई करने के लिए वीज़ा देना एक ख़ास अधिकार की बात है. जब आप हिंसा और आतंकवाद की वकालत करते हैं, तो उस विशेषाधिकार को रद्द कर दिया जाना चाहिए और आपको इस देश में नहीं रहना चाहिए.”
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