हाल ही में यूरोप से लौटे कोलकाता के एक युवक को वायरल बीमारी जैसे चकत्ते और लक्षणों के साथ अस्पताल में भर्ती कराया गया है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने युवक की पहचान का खुलासा नहीं किया है क्योंकि पुणे में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से अंतिम टेस्ट रिपोर्ट का अभी इंतजार है। स्वास्थ्य सेवा निदेशक सिद्धार्थ नियोगी ने कहा कि इस समय घबराने की कोई बात नहीं है क्योंकि उक्त युवक को मंकीपॉक्स हुआ है या नहीं इसकी पुष्टि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से रिपोर्ट मिलने के बाद ही की जा सकती है।
दरअसल युवक के शरीर पर चकत्ते का पता चलने के बाद राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने कोई जोखिम नहीं उठाया क्योंकि वह हाल ही में यूरोप से लौटा था, जहां वह पढ़ाई करने के लिए गया था। उसे शहर के एक अस्पताल में आइसोलेशन में रखा गया है, जहां डॉक्टर उसकी स्थिति पर लगातार नजर रख रहे हैं। इस दौरान राहत की बात यह है कि युवक के परिवार के अन्य सदस्यों में से किसी में भी समान लक्षण नहीं दिखे, हालांकि उन्हें सतर्क रहने और समान लक्षणों के किसी भी संदेह के मामले में अस्पताल में रिपोर्ट करने के लिए कहा गया है।
मंकीपॉक्स का क्या है लक्षण, इलाज
डब्ल्यूएचओ की मानें तो मंकीपॉक्स के लक्षण 6 से 13 दिन में दिखने लगते हैं जिसमें बुखार, तेज सिरदर्द, पीठ और मांसपेशियों में दर्द के साथ गंभीर कमजोरी शामिल है। संक्रमित व्यक्ति के शरीर पर बड़े-बड़े दाने निकल आते हैं। गंभीर स्थिति में ये दाने आंखों के कॉर्निया को भी प्रभावित कर सकते हैं। लिम्फ नोड्स की सूजन इसका सबसे आम लक्षण माना जाता है। फिलहाल इसका कोई सटीक इलाज उपलब्ध नहीं है। लेकिन चेचक की वैक्सीन को मंकीपॉक्स के खिलाफ असरदार माना जाता है।