नई दिल्ली: भारत सहित दुनिया भर में सोना रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुका है। इसी बीच यह अनुमान लगाया जा रहा है कि अब गोल्ड प्राइस में तेज गिरावट आ सकती है। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसका भाव 56,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक गिर सकता है। आइए जानें कि ऐसा क्यों माना जा रहा है, कीमतों में गिरावट की वजहें क्या हैं और यह गिरावट कैसे संभव है। फिलहाल यह करीब 90,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास कारोबार कर रहा है।
ईटी की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका स्थित मॉर्निंगस्टार के एनालिस्ट की मानें तो अगले कुछ सालों में सोने की कीमतों में 38% की गिरावट आ सकती है। ऐसे में लगभग 40% की संभावित गिरावट से भारत में सोने की कीमतें 55,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुँच सकती हैं। जॉन मिल्स ने सोने के भाव में इस बड़ी गिरावट के पीछे कुछ अहम वजह बताई हैं।
सोने की कीमतों में गिरावट: सप्लाई बढ़ी, डिमांड घटी
सोने के भाव में गिरावट की एक वजह सरप्लस सप्लाई बन सकती है। क्योंकि, 2024 की दूसरी तिमाही में खनन लाभ 950 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गया। इसके अलावा, वैश्विक भंडार 9% बढ़कर 2,16,265 टन हो गया है।जहां गोल्ड की सप्लाई में बढ़ोतरी हुई है तो डिमांड में कमी आई है। दरअसल, दुनियाभर के सेंट्रल बैंकों से अधिग्रहण की गति धीमी करने की उम्मीद है। वहीं, वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के सर्वेक्षण के अनुसार, 71% केंद्रीय बैंक अपने गोल्ड रिजर्व को कम करने या यथास्थिति बनाए रखने की योजना बना रहे हैं। 2024 में गोल्ड सेक्टर में मर्जर और अधिग्रहण में 32% की वृद्धि हुई, जो मार्केट में प्राइस के लिहाज से चरम स्तर को दर्शा रहा है।
हालांकि, कुछ अहम फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन जैसे बैंक ऑफ अमेरिका ने अगले दो वर्षों में सोने की कीमत 3,500 डॉलर प्रति औंस तक पहुंचने की भविष्यवाणी की है। दूसरी ओर, गोल्डमैन सैक्स का मानना है कि इस साल के आखिरी तक गोल्ड की कीमतें 3,300 डॉलर प्रति औंस तक पहुंचने की उम्मीद है। ऐसे में भारतीय बाजार में गोल्ड का रेट 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच सकता है।
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