2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में एक और गवाह अपने बयान से मुकर गया है। इसे लेकर अदालत के सामने अपने बयान से मुकरने वाले गवाहों की संख्या बढ़कर 19 हो गई है। मामले की सुनवाई राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के न्यायाधीश पीआर सित्रे दैनिक आधार पर कर रहे हैं। एनआईए इस मामले में 235 लोगों की कोर्ट में गवाही दिलवा चुकी है।
सुनवाई के दौरान गवाह ने कहा कि वह केवल लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित को पहचानता है।
अदालत में मौजूद आरोपियों में पुरोहित भी थे।
गवाह ने कहा कि वह अन्य किसी आरोपी को नहीं जानता और ना ही कभी उनसे मिला।
हालांकि, पहले 27 दिसंबर 2008 को महाराष्ट्र एटीएस के सामने गवाह ने बयान दर्ज कराते हुए कहा था|
कि वह आरोपी व्यक्तियों की दो बैठकों में शामिल हुआ था।
एक बैठक जनवरी 2008 में भोपाल में और दूसरी उसी साल अप्रैल में नई दिल्ली में हुई थी।
एटीएस के अनुसार हमले की योजना बनाने के लिए अभिनव भारत समूह के सदस्यों द्वारा बैठकें आयोजित की गई थीं।
गवाह बोला-याद नहीं क्या बयान दिया था
गवाह ने यह भी कहा कि उसने कभी भी दक्षिणपंथी समूह ‘अभिनव भारत’ की किसी भी बैठक में भाग नहीं लिया|
और उसे नहीं याद है कि उसने इसके पहले जांच एजेंसियों से क्या कहा था।
आतंकवाद रोधी दल (एटीएस) और एनआईए ने बाद में इस मामले की जांच अपने हाथ में ले ली थी।
अभियोजन पक्ष के अनुरोध पर अदालत ने घोषित कर दिया कि गवाह मुकरा गया है।
2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में एक और गवाह अपने बयान से मुकर गया है
हेमंत करकरे ने किया था प्रताड़ित: गवाह
सुनवाई के दौरान गवाह ने शिकायत की कि उसे महाराष्ट्र एटीएस, विशेष रूप से तत्कालीन प्रमुख हेमंत करकरे द्वारा प्रताड़ित किया गया था। इसके बाद अभियोजन पक्ष ने आरोपी को मुजरिम घोषित कर दिया था।
मामले में इन्हें बनाया गया है आरोपी
मामले के आरोपियों में बीजेपी नेता प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित, सुधाकर द्विवेदी, मेजर रमेश उपाध्याय (सेवानिवृत्त), अजय रहीरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी शामिल हैं, जो जमानत पर बाहर हैं।
2008 में हुए धमाके में छह की हो गई थी मौत
29 सितंबर, 2008 को मुंबई से करीब 200 किलोमीटर दूर मालेगांव शहर में एक मस्जिद के पास बाइक से बंधा विस्फोटक फट जाने से छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक घायल हो गए थे।
मालेगांव उत्तर महाराष्ट्र के नासिक जिले का एक सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील शहर है।
धमाके के बाद 30 सितंबर 2008 को मालेगांव के आजाद नगर पुलिस थाने में मामले दर्ज किए गए।