कानपुर और कई अन्य शहरों में हुए बम धमाकों के मामलों की सुनवाई पूरी हो गई है। राजस्थान के अजमेर जिले की टाडा मामलों के विशेष न्यायालय ने फैसला सुनाया है, जिससे यह मामला समाप्त हो गया है।
Also read:Taiwan MND Reported the Detection of Chinese Military Aircraft
कानपुर: टुंडा के खिलाफ मामलों का एक केंद्र
साल 2001 में संसद भवन पर हुए हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से जिन 20 आतंकियों के प्रत्यर्पण की मांग की थी, उनमें टुंडा का नाम भी शामिल था। बताया जाता है कि टुंडा के खिलाफ तीन दर्जन से ज्यादा मामले देश के अलग अलग हिस्सों में दर्ज हैं। 1997-98 में उस पर देशभर में करीब 40 बम धमाके करने का आरोप देशभर में करीब 40 बम धमाके करने का आरोप है।
Also read:Kangana Commends Anant Ambani’s Elegance and Sophistication
कानपुर: आतंकी गतिविधियों का केंद्र
टुंडा ने मुंबई के रहने वाले जलीस अंसारी, नांदेड़ के आजम गौरी और टुंडा ने तंजीम इस्लाम उल मुसलमीन संगठन बनाकर हैदराबाद, मालेगांव, पुणे, अजमेर में भी बम धमाके किए। इस मामले में आरोपी जलीस एक मामले में पेरोल मिलने के बाद फरार हो गया था और महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) और उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के संयुक्त अभियान में कानपुर नगर के फेथफुलगंज में पकड़ा गया था।
Also read:Stay orders can’t be limited to six months: SC Constitution Bench
कानूनी दिशा निर्देशित सुनवाई के लिए विशेष अदालतें
टाडा कानून के तहत पकड़े जाने वाले आरोपियों की सुनवाई के लिए देश में केवल तीन विशेष अदालतें हैं। ये अदालतें अजमेर, मुंबई और श्रीनगर में हैं। उत्तर भारत से जुड़े अधिकांश मामलों की सुनवाई अजमेर स्थित टाडा अदालत में होती है।
Also read:मुंबई-पुणे ई-वे पर 2016 के बाद से दुर्घटना से होने वाली मौतों में आई कमी
कानपुर और अन्य शहरों में बम धमाकों की सुनवाई पूरी हो गई है। 🧨 यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो सुरक्षित और न्यायिक दिशा में आगे बढ़ने के लिए लिया गया है। #कानपुर #बमधमाके #न्याय