जौनपुर के पूर्व सांसद बाहुबली धनंजय सिंह का आपराधिक इतिहास तीन दशक से ज्यादा समय का है। पुलिस डोजियर के अनुसार, धनंजय सिंह के खिलाफ 1991 से 2023 तक जौनपुर, लखनऊ और दिल्ली में 43 आपराधिक मुकदमे दर्ज किए गए। इनमें से 22 मामलों में अदालत ने धनंजय को दोषमुक्त कर दिया है, तीन मुकदमे शासन ने वापस ले लिए हैं। एक मामले में हत्या के आरोप में धनंजय की नामजदगी गलत पाई गई और एक प्रकरण में धमकाने से संबंधित पुलिस द्वारा अदालत में फाइनल रिपोर्ट दाखिल की गई। यह पहला मामला है जिसमें धनंजय को दोषी करार दिया गया है।
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अपराधिक पारदर्शिता और डकैती का गूंज
इन का नाम वर्ष 1998 तक लखनऊ से लेकर पूर्वांचल के जिलों तक अपराध जगत में सुर्खियों में आ चुका था। धनंजय पर पुलिस की ओर से 50 हजार का इनाम घोषित किया गया था। अक्तूबर 1998 में पुलिस ने बताया कि 50 हजार के इनामी धनंजय सिंह तीन अन्य लोगों के साथ भदोही-मिर्जापुर रोड पर स्थित एक पेट्रोल पंप पर डकैती डालने आया था। पुलिस ने दावा किया कि मुठभेड़ में धनंजय सहित चारों लोग मारे गए हैं। हालांकि जिंदा था और भूमिगत हो गया था।
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धनंजय फरवरी 1999 में धनंजय अदालत में पेश हुआ तो भदोही पुलिस के फर्जी मुठभेड़ का पर्दाफाश हुआ। धनंजय के जिंदा सामने आने पर मानवाधिकार आयोग ने जांच शुरू की और फर्जी मुठभेड़ में शामिल रहे 34 पुलिसकर्मियों पर मुकदमे दर्ज हुए।
बनारस: धनंजय सिंह और अभय सिंह के बीच गोलीबारी का तंग तंग रिश्ता
धनंजय सिंह और अभय सिंह वर्ष 2002 आते-आते एक-दूसरे के खिलाफ हो गए थे। अक्तूबर 2002 में बनारस से जा रहे धनंजय के काफिले पर नदेसर में टकसाल टॉकीज के सामने गोलीबारी हुई। गोलीबारी में धनंजय के गनर सहित काफिले में शामिल अन्य लोग घायल हुए थे। प्रकरण को लेकर धनंजय ने कैंट थाने में अभय सिंह सहित अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। यह मुकदमा फिलहाल विचाराधीन है।