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    इंदौर नगर निगम फर्जी बिल घोटाले में ED का छापा, 12 ठिकानों पर रेड

    Indore Nagar nigam

    इंदौर में नगर निगम के फर्जी बिल घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छापेमारी की। ईडी ने नगर निगम के इंजीनियर अभय राठौर और अकाउंटेंट अनिल गर्ग सहित करीब 15 आरोपितों के ठिकानों पर दबिश दी।

    यह कार्रवाई बोगस कंपनियां बनाकर फर्जी बिल पास करवाने और सरकारी पैसा हजम करने के मामले में की गई है। ईडी की टीम ने राठौर के बहनोई राकेश सिंह चौहान के घर पर भी छापा मारा। ज्यादातर जगहों पर टीम को केवल महिलाएं ही मिलीं, जबकि पुरुष पहले ही गायब हो गए थे।

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    अप्रैल 2024 में सामने आया था मामला

    यह मामला अप्रैल 2024 में सामने आया था। फर्जी बिल घोटाले में एमजी रोड थाने पर करीब एक दर्जन लोगों के खिलाफ कई एफआईआर दर्ज हुई थीं। अभय राठौर जेल में है, जबकि उसका जीजा राकेश सिंह चौहान फरार है।

    ईडी ने कुछ जगहों से दस्तावेज जब्त किए और आरोपितों के बैंक खाते और फर्मों से जुड़ी जानकारी भी हासिल की ताकि ट्रांजेक्शन और मनी ट्रेल का पता लगाया जा सके। ईडी द्वारा हरीश श्रीवास्तव, प्रो. एहतेशाम, जाहीद खान, मोहम्मद साजिद, मोहम्मद सिद्धिकी, रेणु वडेरा, मोहम्मद जाकिर, राहुल वडेरा, अनिल गर्ग, राजकुमार साल्वी, उदयसिंह भदोरिया, मुरलीधर कर्ता और मौसम व्यास के ठिकानों पर भी कार्रवाई की गई है।

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    नगर निगम का फर्जी बिल कांड: 28 करोड़ से बढ़कर 150 करोड़ तक पहुंचा घोटाले का आंकड़ा, जांच में खुलासा

    नगर निगम का फर्जी बिल कांड सबसे पहले तब सामने आया जब तत्कालीन निगमायुक्त के सामने कुछ ठेकेदारों ने आरोप लगाया कि उनका बिल पास नहीं हो रहा है, जबकि कुछ ठेकेदार बिना काम किए ही भुगतान ले रहे हैं। इसके बाद मामले में जांच शुरू हुई और 16 अप्रैल 2024 को पहली एफआईआर दर्ज हुई। प्रारंभ में यह घोटाला 28 करोड़ का अनुमानित था, लेकिन जांच के दौरान यह राशि बढ़कर 150 करोड़ हो गई।

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    फर्जीवाड़े को अंजाम देने के लिए ठेकेदारों ने बिना काम किए ही करोड़ों के बिल पास करवा लिए थे। ड्रेनेज विभाग के काम बताते हुए ये लोग फाइलें तैयार करते थे और फिर इन फाइलों को लेखा शाखा में प्रस्तुत कर देते थे। आडिट विभाग के अधिकारी भी इन फाइलों को बिना जांच के भुगतान के लिए बढ़ा देते थे। जांच में यह भी सामने आया कि इस पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड नगर निगम का इंजीनियर अभय राठौर था। उसकी गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने निगम के अन्य कर्मचारियों पर भी शिकंजा कसना शुरू किया।

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