सपा नेता आजम खां को नफरती भाषण मामले में कोर्ट ने दोषी करार दिया है। सजा के प्रश्न पर आजम खां के अधिवक्ता और अभियोजन का पक्ष सुना जा चुका है। आजम खां न्यायिक अभिरक्षा में है। कुछ देर बाद कोर्ट उनको सजा सुनाएगी।
18 अप्रेल 2019 को धमारा गांव में एक जनसभा में आजम खां ने संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। जो वीडियो भी फैल गया था। बाद में एडीओ सहकारिता अनिल चौहान ने आजम खा के खिलाफ शहजादनगर में मुकदमा दर्ज कराया।
आजम से जुड़ा यह मामला 2019 के लोकसभा चुनाव के समय का है। उन्हें 153A, 505A और 125 के तहत दोषी करार दिया गया। कोर्ट ने यह भी कहा कि शिकायत में इन धाराओं से जुड़ी कोई बात नहीं नजर आई। आजम को सजा के बाद उनकी विधायकी भी रद्द हो गई और फिर हुए रामपुर उपचुनाव में बीजेपी के आकाश सक्सेना ने सपा के आसिम रजा को हराकर पहली बार कमल खिलाया।
इस सजा के खिलाफ आजम खां ने सेशन कोर्ट में अपील की थी। बुधवार को मामले की सुनवाई एमपी-एमएलए कोर्ट (सेशन ट्रायल) में हुई। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद आजम खान को नफरती भाषण देने के आरोप से मुक्त कर दिया है। कोर्ट ने मजिस्ट्रेट ट्रायल की कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया। कोर्ट ने इस मामले में 70 पेज में अपना फैसला सुनाया है।
जिसमें सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के फैसले का उल्लेख किया गया है। सेशन कोर्ट के फैसले से आजम को बड़ी राहत मिली है, लेकिन उनकी विधायकी बहाल होने पर अभी संदेह है। क्योंकि छजलैट प्रकरण के मुकदमे में भी मुरादाबाद की कोर्ट ने आजम खान और उनके पुत्र अब्दुल्ला आजम खान को दो-दो साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद अब्दुल्ला आजम खां की विधायकी चली गई थी।