Delhi से पकड़े गए आतंकी मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है। सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तानी आतंकी ने पूछताछ में बताया है कि उसने बिहार के एक गांव में सरपंच से फर्जी आईडी बनवाई थी। आतंकी ने बताया कि जब वह पहली बार साल 2004 में पाकिस्तान से बांग्लादेश और कोलकाता होते हुए भारत में दाखिल हुआ था. तो उसके बाद वह सीधे अजमेर शरीफ गया, जहां पर उसकी मुलाकात बिहार के कुछ लोगों से हुई। इसके बाद वह उनके साथ बिहार चला गया और वहां जाकर उसने एक गांव में शरण ली।
गांव में कुछ समय रहकर उसने सरपंच का विश्वास जीता और सरपंच से कागज में लिखवाकर गांव का निवासी होने की नकली आईडी बनवा लिया। इसके साथ ही आतंकी ने पुलिस को बताया कि वह जम्मू-कश्मीर में जब रहा तो लगातार आर्मी पर्सनल और उनकी गाड़ियों पर नजर रखता था।
वह लगातार पाकिस्तान में अपने परिवार के संपर्क में रहता था। हर 6 महीने में अपना नंबर बदल लेता था, जिससे एजेंसियों के पकड़ में ना आए।
Delhi पुलिस ने अदालत में आरोपियों की हिरासत की मांग
अपने हैंडलर से संपर्क करने के लिए वह मैसेज या वाट्सएप्प पर बहुत ही कम जुड़ता था। इसे लगतार आईएसआई और पकिस्तान में बैठे आका फ़ोटो के जरिये लोकेशन और अगला टारगेट बताते थे।
साथ ही इसको किन चीजों की डिलीवरी किसे करनी है, ये भी जानकारी दी जाती थी। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि यह ना तो बात करने वाले शख्स को अच्छे को जानता था और ना ही जिसे हथियारों या अन्य चीजों की डिलीवरी करनी होती थी, उन्हें जानता था।
सिर्फ ये एक बीच की कड़ी है, जो केवल समान एक जगह से उठाकर दूसरे को देता था। पुलिस अब ये जांच कर रही है कि जो हथियार इसकी निशानदेही पर बरामद किए, वो इसे किसी को देने थे या खुद इस्तेमाल करने थे।
Delhi पुलिस ने अदालत में आरोपियों की हिरासत की मांग थी की ताकि वे इस त्योहारी सीजन के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में आतंकी हमलों को अंजाम देने के लिए, पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) की पूरी साजिश का खुलासा कर सकें।
दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ की ओर से सोमवार रात राष्ट्रीय राजधानी से गिरफ्तार किए गए आतंकवादी को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई द्वारा प्रशिक्षित किया गया था।