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    हथियार डीलर संजय भंडारी के प्रत्यर्पण को ब्रिटेन की कोर्ट ने दी मंजूरी

    हथियार डीलर संजय भंडारी के प्रत्यर्पण पर भारत की जीत हुई है. ब्रिटेन की एक कोर्ट ने भगोड़े हथियार डीलर संजय भंडारी के प्रत्यर्पण की अनुमति दी है. संजय भंडारी को अब भारत लाया जाएगा. भंडारी पर टैक्स चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगे हैं. साथ ही उन पर आरोप है कि उन्होंने कुछ डिफेंस डील में रिश्वत ली है. उन्हें यूपीए सरकार के दौरान किए गए हथियारों के सौदों के संबंध में विदेशी कंपनियों से कथित तौर पर 400 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान प्राप्त हुआ.

    दुबई में कई फर्मों में किए गए लेनदेन के रिकॉर्ड से ये पता चलता है. इस साल की शुरुआत में लंदन में वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट में मामले की सुनवाई करने वाले जिला न्यायाधीश माइकल स्नो ने निष्कर्ष निकाला कि उनके प्रत्यर्पण पर कोई रोक नहीं है और उन्होंने मामले को यूके की गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन को भेजने का फैसला किया. जो कोर्ट के आदेश के आधार पर प्रत्यर्पण का आदेश देने के लिए अधिकृत हैं. 

    भारत सरकार कर रही थी प्रत्यर्पण की मांग

    भारत सरकार काला धन और कर अधिरोपण अधिनियम, 2015 के तहत अपनी विदेशी संपत्ति घोषित करने में विफल रहने और मनी लॉन्ड्रिंग के आधार पर हथियार डीलर संजय भंडारी के प्रत्यर्पण की मांग कर रही थी. प्रत्यर्पण मामले में वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट, लंदन में आखिरी बहस को 4 अक्टूबर को सुना गया था और अब फैसला सुनाया गया है. 

    संजय भंडारी पर विदेशी संपत्ति को छिपाने, पुराने दस्तावेजों का उपयोग करने, भारतीय कर अधिकारियों को घोषित नहीं की गई संपत्ति से लाभ उठाने और फिर विदेशी संपत्ति को लेकर अधिकारियों को गलत तरीके से सूचित करने का आरोप है. हालांकि वह आरोपों से इनकार करते रहे हैं.

    छापेमारी के बाद देश छोड़कर भागा

    अक्टूबर 2016 में आयकर विभाग के अधिकारियों के उनके आवास पर छापे के बाद भंडारी कथित तौर पर भारत से भाग गए थे. उनके खिलाफ लुक-आउट नोटिस भी जारी किया गया था. छापे के दौरान रक्षा मंत्रालय के गोपनीय दस्तावेज पाए गए थे. 15 जुलाई, 2020 को लंदन में संजय भंडारी की गिरफ्तारी के बाद, उन्हें वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत ने कई कड़ी शर्तों के साथ जमानत पर रिहा कर दिया था.

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