आपदा में हेलिकॉप्टर से राहत बचाव कार्य करने की सरकार की योजना को हेली कंपनियां विफल कर रही हैं। स्थिति यह है कि तीन बार टेंडर जारी करने के बावजूद, कोई भी हेली कंपनी इसमें भाग लेने को तैयार नहीं है। अब उत्तराखंड नागरिक उड्डयन एवं आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने नए सिरे से टेंडर निकाला है। राज्य में हर साल मानसून के दौरान आपदा बड़ी चुनौती बनकर सामने आती है।
Also read: Jaishankar Discusses Border Issues with China’s Wang Yi
आपदा के दौरान राहत और बचाव कार्यों में भी काफी समस्याएं आती हैं। इस स्थिति को देखते हुए, सरकार ने फैसला किया था कि आपदा में राहत और बचाव कार्यों के लिए अलग से हेलिकॉप्टर तैनात किए जाएंगे। उत्तराखंड नागरिक उड्डयन एवं विकास प्राधिकरण (युकाडा) को हेलिकॉप्टरों की व्यवस्था की जिम्मेदारी दी गई थी, जिसका खर्च आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा वहन किया जाएगा।
इसके लिए युकाडा ने मई माह में टेंडर निकाल दिया था लेकिन कोई कंपनी नहीं आई। इसके बाद जून माह में टेंडर जारी किया लेकिन फिर भी किसी हेली कंपनी ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई। अब युकाडा ने जुलाई में तीसरी बार टेंडर निकाला है। यह हेलिकॉप्टर देहरादून के सहस्त्रधारा स्थित हेलिड्रोम पर तैनात किया जाना है। जो आपदा आने पर तत्काल राहत, बचाव कार्यों में इस्तेमाल हो सकेगा।
Also Read: Maharashtra Government’s Mukhyamantri Majhi Ladki Bahin Yojana
कंपनियों का न आना कई तरह के सवाल खड़े कर रहा
माना जा रहा है कि हेली कंपनियां इसे खतरों से भरा काम मानते हुए गुरेज कर रही हैं। दूसरी ओर कमाई वाली केदारनाथ हेली सेवा में हेलिकॉप्टर चलाने को लेकर इस बार भी हेली कंपनियों में मारामारी थी। इनमें से नौ कंपनियों ने मानसून से पहले राज्य में हेली सेवाएं दीं। वर्तमान मानसून सीजन में भी दो कंपनियां की केदारनाथ हेली सेवा चला रही हैं। लेकिन बार-बार टेंडर के बावजूद कंपनियों का न आना कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है।
पहला प्रयास ही नहीं चला, कुमाऊं में तो छोड़िए
प्रदेश में पहले प्रयास के तौर पर गढ़वाल मंडल में और दूसरे प्रयास में कुमाऊं मंडल में अलग-अलग हेलिकॉप्टर तैनात किए जाने थे। पहला ही प्रयास विफल हो गया है। कुमाऊं को भी आपदा राहत में हेलिकॉप्टर के लिए इंतजार करना होगा। हालांकि युकाडा को उम्मीद है कि पहले हेलिकॉप्टर में इस बार कामयाबी मिल सकती है।
Also Read: Hathras stampede: Death toll rises to 121; FIR registered against organizers