असफलता से डरने के बजाय अपनी कमियों को सुधारने पर ध्यान देने से सफलता मिलती है। किसी परीक्षा में असफल होना दुनिया का अंत नहीं है। हमें अपनी कमजोरियों की समीक्षा करके प्रदर्शन सुधारने पर ध्यान देना चाहिए। यह कहना है मिर्जापुर की एसडीएम सौम्या मिश्रा का, जिन्होंने चौथे प्रयास में UPSC परीक्षा में 18वीं रैंक हासिल की। दिल्ली में रहने वाली सौम्या और उनकी बहन सुमेघा मिश्रा, जो मूल रूप से उन्नाव के पूरवा तहसील के अजयपुर गांव की हैं, दोनों ने एक साथ UPSC परीक्षा पास की। उनके सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले पिता ने बेटियों को सरकारी स्कूल में ही शिक्षित कर एक मिसाल कायम की।
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मिर्जापुर की एसडीएम व यूपीएससी में टॉप 20 में शामिल सौम्या मिश्रा ने कहा कि बचपन से पिता ने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा के बारे में जागरूक किया। उनके मार्गदर्शन में बचपन से एक अधिकारी बनकर देश और समाज सेवा का सपना देखा था। हम दोनों बहनों ने दिल्ली के राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय से स्कूली शिक्षा और बाद में डीयू के किरोड़ीमल कॉलेज से स्नातक भूगोल ऑनर्स की है।
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दो बार की असफलता के बाद मिली कामयाबी
सुमेघा मिश्रा कहती हैं कि दो प्रयासों के बाद मुझे 253वीं रैंक हासिल हुई है। युवाओं से इतना ही कहना चाहती हूं कि असफलता से घबराकर कुछ गलत नहीं सोचना चाहिए। सकारात्मक सोच, परिवार का साथ व मार्गदर्शन और योजनाबद्ध तरीके से तैयारी करके सफलता जरूर मिलती है। हमने कोई कोचिंग नहीं ली। रोजाना सात से आठ घंटे की योजना से लिखने औा पढ़ने की तैयारी की।
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सरकारी स्कूलों से पढ़ाई करके भी अफसर बना जा सकता है
दोनों बहनें कहती हैं कि आजकल हर पेरेंट्स बच्चों को बड़े निजी स्कूलों में पढ़ाना चाहते हैं, लेकिन उनकी सोच गलत है। सरकारी स्कूलों में पढ़कर भी यूपीएससी जैसी परीक्षा पास कर अधिकारी बना जा सकता है। पिता राघवेंद्र मिश्रा दिल्ली के सरकारी स्कूल में प्रोफेसर हैं। उन्होंने बचपन से हमें अधिकारी बनकर देश और समाज सेवा का जज्बा दिखाया। आज उनके मार्गदर्शन में हम सरकारी स्कूलों में पढ़ीं बेटियां यहां तक पहुंची हैं।
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मां मिर्जापुर में बड़ी बेटी के साथ थीं, जबकि पिता दिल्ली में छोटी बेटी की तैयारी कराते रहे
सौम्या मिश्रा ने यूपीएससी की चौथे प्रयास में सफलता हासिल की है। साथ ही उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास की थी और इन दिनों मिर्जापुर में एसडीएम पद पर तैनात हैं, इसलिए मां रेणु मिश्रा (गृहिणी) मिर्जापुर में बड़ी बेटी, तो पिता राघवेंद्र दिल्ली में छोटी बेटी सुमेघा की तैयारी करवाते रहे। सौम्या मिश्रा को पढ़ाई में उत्कृष्ठ प्रदर्शन पर एमए में गोल्ड मेडल मिला था, जबकि सुमेघा मिश्रा को पढ़ाई में उत्कृष्ठ प्रदर्शन पर गोल्ड मेडल मिला था।
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