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    यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (यूजीसी ) आज लाखों स्टूडेंट्स को सीधे इंपैक्ट करने वाले फैसले पर मुहर लगाने जा रहा है।

    यूजीसी चार साल के ग्रेजुएशन प्रोग्राम और पीएचडी रेगुलेशन्स में बदलाव को लागू करेगा।

    मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 7.5 के न्यूनतम सीजीपीए (Cumulative Grade Point Average) के साथ चार साल का अंडर ग्रेजुएशन डिग्री होल्डर पीएचडी प्रोग्रामों में प्रवेश ले सकेंगे।

    साथ ही यूजीसी ने रेगुलेशन एक्ट 2016 में संशोधन के अपने नए मसौदे में राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (NET)/ जूनियर रिसर्च फेलोशिप (JRF) के लिए उपलब्ध सीटों में से 60% आरक्षित करने का भी प्रस्ताव दिया है ।

    रिटायरमेंट के बाद भी मिलेगा काम का मौका

    आयोग ने इस साल से एमफिल की डिग्री को खत्म करने का फैसला लिया है।

    इसके साथ ही यूजीसी रेगुलेशन 2022 के तहत कई अन्य बड़े फैसले भी किए गए हैं।

    अब शिक्षकों/प्रोफेसर को रिटायरमेंट के बाद भी पेरेंट यूनिवर्सिटी में दोबारा काम करने का मौका दिया जाएगा।

    यूजीसी रेगुलेशन, 2022 के मसौदे को 10 मार्च को आयोजित 556 वीं आयोग की बैठक के दौरान अनुमोदित किया गया था ।

    प्रोफेसर के लिए PhD अनिवार्य नहीं

    यूजीसी द्वारा लिया गया फैसला देश के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में पढ़ाने का ख्वाब देख रहे युवाओं के हक में है।

    अब केंद्रीय विश्वविद्यालयों में पढ़ाने के लिए पीएचडी की डिग्री जरूरी नहीं होगी।

    यूजीसी के इस फैसले से संबंधित विषय के विशेषज्ञ यूनिवर्सिटी में पढ़ा सकेंगे।

    60 साल की उम्र पार कर चुके प्रोफेसरों को फायदा

    चेयरपर्सन जगदीश कुमार ने कहा कि कई क्षेत्र में ऐसे विशेषज्ञ हैं जो यूनिवर्सिटी में पढ़ाना चाहते हैं।

    ऐसे भी लोग हो सकते हैं जिन्होंने किसी प्रोजेक्ट को बड़े स्तर पर लागू किया हो और उन्हें काफी जमीनी अनुभव है, या फिर ऐसे लोग हैं जो बेहतरीन गायक, म्युजिशियन या डांसर हैं, वो भी इस नियम में बदलाव के बाद पढ़ा सकते हैं।

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